French bean Farming: सर्दियों के मौसम में हरी सब्जियों का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है. खेतों से लेकर बाजारों तक में हरियाली ही हरियाली नजर आती है. सेहत के हिसाब से अगर देखा जाए तो हरी सब्जियां बेहद फायदेमंद होती है. तभी तो ठंड के मौसम को तंदुरुस्ती का मौसम कहा जाता है. इस समय तक भारत के लगभग सभी राज्यों में ठंड ने दस्तक दे दी है. कृषि मौसम के अनुसार देखें तो इस वक़्त रबी का मौसम है, किसान गेहूं,चना, सरसों आदि फसलों की बुवाई लगभग खत्म कर चुके हैं. वहीं कई किसान अच्छी आय के लिए अन्य कृषि उत्पादों की खेती का मन भी बना रहे हैं. ऐसे किसानों के लिए फ्रेंचबीन की खेती (French bean farming) बेहतर अवसर हो सकता है.
आईये जानते हैं कि कैसे किसान फ्रेंचबीन की खेती कर सकते हैं. साथ ही फ्रेंचबीन की ऐसी किस्में की जानकारी, जो बेहतर मुनाफा दे सकती हैं.
फ्रेंचबीन को राजमा भी कहा जाता है. यह एक दलहनी फसल है. फल के साथ-साथ इसकी हरी पौध को सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और फल को सुखाकर राजमा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. फ्रेंचबीन की खेती सर्दी व गर्मी दोनों मौसम में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए हल्की गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मिट्टी की बात करें तो इसकी खेती के लिए बलुई बुमट व बुमट मिट्टी अच्छी रहती है. वहीं भारी व अम्लीय भूमि वाली मिट्टी का इस्तेमाल इसकी खेती में ना करें.
अच्छी उपज और पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन सबसे जरूरी है. खेती की सही विधि के साथ अगर आप उन्नत किस्मों का चयन करते हैं तो इससे ना सिर्फ पैदावार में बढ़त होगी बल्कि अच्छी गुणवत्ता भी मिलेगी. फ्रेंचबीन की खेती के लिए कई किस्में आती है जो अच्छी हैं. इसमे झाड़ीदार किस्में होती हैं जिनमें जाइंट स्ट्रींगलेस, कंटेंडर, पेसा पार्वती, अका्र कोमल, पंत अनुपमा तथा प्रीमियर, वी.एल. बोनी-1 आदि प्रमुख किस्में है. वहीं दूसरी बेलदार किस्में होती है जिनमें केंटुकी वंडर, पूसा हिमलता व एक.वी.एन.-1 अच्छी किस्में हैं. तो अगर आप भी फ्रेंचबीन की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इन किस्मों का चयन कर सकते हैं.
उत्तर भारत में इसकी खेती अक्टूबर व फरवरी के महीने में की जाती है. पहाड़ी क्षेत्र में इसकी खेती फरवरी, मार्च व जून माह में की जाती है. बुवाई करते इस बात का ध्यान रखें की बुवाई हमेशा कतार में करें ताकि निराई- गुड़ाई के काम में आसानी रहे. बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सेमी. और बीज से बीज की दूरी 10 सेमी. रखनी चाहिए.
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