केंद्र सरकार की ओर से जूट की बोरियों में चीनी पैक करने के लिए नियम बनाया है. खाद्य मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों को कपड़ा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के तहत इसके नियमों के बारे में पत्र लिखा है. इसके तहत चीनी की 20 फीसदी पैकिंग जूट के थैलों या बोरियों में होगी. सरकार ने इस नियम को अनिवार्य कर दिया है. ये इसलिए किया गया है क्योंकि यह पता चला है कि कुछ मिलें सरकार के आदेश का पालन नहीं कर रही हैं.
चीनी निदेशालय के दिसंबर 2024 के पत्र को सभी चीनी मिलों के प्रमुखों के साथ साझा करते हुए खाद्य मंत्रालय ने 27 मार्च को उन्हें तत्काल नियमों के पालन करने को कहा है. इस पत्र में कहा गया है कि सभी चीनी निर्माताओं को कपड़ा मंत्रालय द्वारा कानून के तहत अधिसूचित चीनी के कुल उत्पादन का 20 प्रतिशत अनिवार्य जूट पैकेजिंग के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है.
इसके अलावा, खाद्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि चालू चीनी सीजन (अक्टूबर 2024-सितंबर 2025) के दौरान चीनी निदेशालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन न करने पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि पिछले वर्ष अक्टूबर में मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों से कहा था कि वे अपने द्वारा दाखिल मासिक रिटर्न (पी-2 शीट) में जूट पैकेजिंग की जानकारी प्रस्तुत करें.
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इस अनिवार्य नियम के चलते चीनी मिलें और चीनी इंडस्ट्री दिक्कतों से गुजर रही थी, जिसके बाद कुछ चीनी मिलों द्वारा अनिवार्य जूट पैकेजिंग आदेश पर रोक लगाने के लिए न्यायालयों का रुख करने के उदाहरण सामने आए हैं, क्योंकि उनका दावा है कि जूट की बोरियों में पैकिंग करने से चीनी की क्वालिटी पर असर पड़ता है. उनका कहना है कि जूट की बोरियों में नमी नहीं रहती जो चीनी को खराब कर सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके ग्राहक और थोक उपभोक्ता भी चाहते हैं कि चीनी को प्लास्टिक की थैलियों और बोरियों में पैक किया जाए.
इसी बीच खरीफ फसल कच्चे जूट (जूट और मेस्टा दोनों) का रकबा 2024 में घटकर 5.7 लाख हेक्टेयर रह गया, जो 2023 सीजन में 6.37 लाख हेक्टेयर था, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन भी पिछले वर्ष के 96.92 लाख गांठों से कम होकर 86.24 लाख गांठ (प्रत्येक गांठ का वजन 180 किलोग्राम) रहने का अनुमान है.
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