इस समय पूरे देश में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है, जहां कई मंडलों ने गणेशजी की बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाई हैं, वहीं महाराष्ट्र के वाशिम जिले में सुपारी से गणेशजी की आकर्षक इको-फ्रेंडली मूर्ति बनाई गई, जिसकी जिले में चर्चा हो रही है. जिले के कमरगांव में जय भवानी मंडल के सदस्यों ने गणेशजी की आकर्षक और सुंदर मूर्ति बनाई है, वह भी सुपारी से. इस मूर्ति पर 9 किलो सुपारी का इस्तेमाल किया गया है. मंडल के सदस्यों और मूर्तिकार ने बताया कि 15 किलो वजनी और 4.5 फीट ऊंची इस मूर्ति को बनाने में 10 दिन लगे.
हालांकि यह मंडल किसानों का है, इसलिए 9 किसानों ने अपने खर्चे से 1-1 किलो सुपारी दी, इस मूर्ति को बनाने में सिर्फ 4 से 5 हज़ार रुपए का खर्च आया. एक किसान के बेटे ने कहा कि इस बार वो 10 दिन तक गणेशजी से प्रार्थना करेंगे कि देश के किसानों की फसल अच्छी हो और उन्हें अच्छे दाम मिलें. एक बुज़ुर्ग किसान ने कहा कि वो गणेशजी से प्रार्थना करते हैं कि फसलों का उचित दाम मिले, ये सरकार सोई हुई है, कब जागेगी. अगर सरकार किसानों की फसलों का सही दाम दे दे, तो किसानों को आत्महत्या करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी. जहां ज़्यादातर मूर्तियां समुद्र, नदी या कुएं में विसर्जित की जाती हैं, वहीं इस मूर्ति का विसर्जन भी बेहद प्रेरणादायक होगा. मूर्तिकार ने यह भी बताया कि गणेशजी पर चढ़ी सुपारी को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाएगा और फिर उसका विसर्जन किया जाएगा.
किसानों द्वारा पर्यावरण अनुकूल सुपारी से मामूली लागत पर बनाई गई यह आकर्षक मूर्ति उन मंडलों के लिए एक उदाहरण है जो हजारों रुपये की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां खरीदते हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होती हैं.
वहीं एक दूसरी खबर रायपुर से आ रही है. रायपुरा इलाके में रहने वाले मूर्तिकार रवि यादव और उनका परिवार हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर कुछ खास और अनोखा करते हैं. बीते 27 वर्षों से यह परिवार अलग-अलग थीम पर भगवान गणेश की मूर्तियां तैयार करता आ रहा है. इनकी कलाकारी इतनी सुंदर होती है कि लोग दूर-दूर से इन्हें देखने आते हैं.
पिछले साल रवि यादव और उनके परिवार ने चॉकलेट से गणेश प्रतिमा बनाई थी, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. लोगों ने इस अनोखी मूर्ति की खूब तारीफ की थी और इसे बहुत पसंद किया था.
इस बार यादव परिवार ने पूजन में उपयोग होने वाली पारंपरिक वस्तुओं से भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई है. यह प्रतिमा पूरी तरह से सुपारी, रुद्राक्ष, जनेऊ, बंधन, जावा, और पंचमेवा के लड्डू जैसी सामग्रियों से तैयार की गई है. यह मूर्ति न केवल देखने में सुंदर है, बल्कि उसमें एक धार्मिक और सांस्कृतिक भाव भी झलकता है.
मूर्तिकार रवि यादव ने बताया कि इस प्रतिमा को बनाने में करीब 18 किलो सुपारी का उपयोग किया गया है. इसके साथ ही 10 से 12 बंडल जनेऊ, रुद्राक्ष, और लौंग-इलायची जैसी वस्तुओं का भी उपयोग किया गया है. भगवान गणेश के गहनों को सजाने के लिए खास तौर पर लौंग और इलायची का प्रयोग किया गया है, जिससे मूर्ति का स्वरूप और भी भव्य नजर आ रहा है.
इस अनोखी मूर्ति को रायपुर के डंगनिया बाजार चौक, जो कि शहर के सबसे पुराने और व्यस्त बाजारों में से एक है, में स्थापित किया जाएगा. यहां आने वाले भक्तों को इस बार एक बहुत ही अलग और आध्यात्मिक अनुभव मिलेगा.
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