गिर गाय, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसका मूल स्थान गुजरात का गिर वन क्षेत्र है. इसका प्रजनन क्षेत्र मुख्य रूप से गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के अमरेली, भावनगर, जूनागढ़ और राजकोट जिलों में फैला हुआ है. गिर के जंगलों के आसपास पाए जाने के कारण ही इसका नाम 'गिर' पड़ा. इस नस्ल को इसके अलग-अलग क्षेत्रों में कई स्थानीय नामों से भी जाना जाता है, जैसे- भोडली, देसन, गुजराती, काठियावाड़ी, खोजी और सुरती. यह नस्ल केवल दूध देने के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी सहनशीलता और मेहनत करने की क्षमता के लिए भी प्रसिद्ध है. गिर नस्ल के सांड बहुत शक्तिशाली होते हैं और भारी-भरकम सामान ढोने और खेती के कामों के लिए आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इस नस्ल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी शांत और सहनशील बनी रहती है.
गिर गाय की पहचान उसकी अनूठी शारीरिक बनावट से आसानी से की जा सकती है, जो उसे भारतीय जलवायु के लिए सर्वोत्तम बनाती है. इसका रंग आमतौर पर सफेद, गहरा लाल या हल्का चॉकलेटी होता है, जिस पर अक्सर गहरे लाल या काले धब्बे भी पाए जाते हैं. एक वयस्क गिर गाय का वजन लगभग 400-475 किलोग्राम और बैल का वजन 550-650 किलोग्राम तक होता है. मादा की ऊंचाई लगभग 1.3 मीटर और नर की 1.4 मीटर होती है. गिर गाय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हर तरह की जलवायु में खुद को ढाल लेती है. चाहे वह राजस्थान का गर्म मरुस्थल हो या उत्तर भारत का ठंडा मौसम, यह हर जगह आसानी से रह सकती है. गिर गाय का जीवनकाल 12 से 15 साल का होता है और यह अपने पूरे जीवन में लगभग 12 बार बच्चों को जन्म देकर दूध देती रहती है, जिससे यह पशुपालकों के लिए लंबे समय तक लाभकारी बनी रहती है.
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गिर गाय की इन्हीं खूबियों के कारण आज इसकी मांग पूरी दुनिया में है. ब्राजील, अमेरिका, वेनेजुएला, इजरायल और मैक्सिको जैसे देशों ने भारत से गिर गायों का आयात किया और वहां सफलतापूर्वक इनका पालन कर रहे हैं. ब्राजील ने तो गिर गाय की नस्ल पर शोध करके और उसे विकसित करके दूध उत्पादन में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. ब्राजील में एक गिर गाय से एक दिन में 62 लीटर तक दूध उत्पादन का रिकॉर्ड है. वहां के वैज्ञानिकों ने पाया कि इसके दूध में 52 तरह के पोषक तत्व मौजूद हैं, जो इसे सुपरफूड बनाते हैं.
गिर गाय का दूध इसकी सबसे बड़ी पूंजी है. यह देसी गायों में सबसे अधिक दूध देने वाली नस्लों में से एक है. एक गिर गाय अपनी एक ब्यांत (lactation period) में औसतन 2000 से 5000 लीटर तक दूध दे सकती है. भारत में इसका औसत दूध उत्पादन 2110 लीटर प्रति ब्यांत है, जो अन्य देसी गायों के 1000-1200 लीटर के औसत से लगभग दोगुना है, गिर गाय का दूध A2 प्रकार का होता है, जिसे स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है. यह पचने में आसान होता है और इसमें मौजूद पोषक तत्व बच्चों के विकास, मधुमेह नियंत्रण और हृदय रोगों से बचाव में सहायक होते हैं. इसके दूध में औसतन 4.5 फीसदी फैट पाया जाता है, जो घी और अन्य डेयरी उत्पादों के लिए उत्तम है.
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भारत में एक अच्छी गिर गाय की कीमत 50,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये या उससे भी अधिक हो सकती है. यह कीमत गाय की उम्र, स्वास्थ्य, उसकी दूध देने की क्षमता और उसकी वंशावली पर निर्भर करती है. हालांकि शुरुआती निवेश थोड़ा अधिक लग सकता है, लेकिन इसकी कम रखरखाव लागत, अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता और दूध की ऊंची कीमत के कारण यह एक बेहद लाभकारी सौदा साबित होता है. यह नस्ल देश में गुणवत्ता वाले दूध की कमी को पूरा करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की अपार क्षमता रखती है.
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