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Fisheries: एक मछली को हुई तो पूरे तालाब में फैल जाएगी ये बीमारी, जानें रोकथाम का तरीका 

Fisheries: एक मछली को हुई तो पूरे तालाब में फैल जाएगी ये बीमारी, जानें रोकथाम का तरीका 

मछलियों को तमाम तरह की बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि तालाब की समय-समय पर सफाई होती रहे. मछलियों का दाना गुणवत्ता वाला और संतुलित खिलाएं. बीमार मछलियों को अलग हटा दें. तालाब के आकार के हिसाब से ही तालाब में मछलियों की संख्या‍ रखें. तालाब में और दूसरी मछलियों को न पनपने दें. 

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कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है. जिस वजह से भी ये कहावती बनी हो, लेकिन हकीकत इससे परे हैं. एक मछली तालाब को तो गंदा नहीं करती है, लेकिन, हां पूरे तालाब को बीमार जरूर कर सकती है. मछलियों के तालाब में एक ऐसी बीमारी पनपती है जो अगर एक मछली को हो गई तो फिर पूरे तालाब की मछलियों को अपनी चपेट में ले लेती है. एक्वाकल्चर एक्सपर्ट की मानें तो मछलियों की छोटी-बड़ी 15 ऐसी बीमारी हैं जो बैक्टीरिया और पैरासाइट के चलते हो जाती हैं. 

अगर वक्त रहते इनकी पहचान, इलाज और रोकथाम नहीं की गई तो यह पूरे तालाब की मछलियों में फैल सकती हैं. ऐसी ही एक बीमारी अल्सर है. इस बीमारी के फैलने के कई कारण हैं. इसके चलते मछलियों की मौत भी हो जाती है. इतना ही नहीं अगर बीमार मछली बाजार में बिकने आ गई तो खाने वाले को भी बीमार कर सकती है. 

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तालाब की मछलियों में ऐसे करें अल्सर की पहचान

फंगस यानि फफूंद के चलते मछलियों के बीच अल्सर रोग जल्दी होता है. तालाब, टैंक में पाली जाने वाली मछलियों के साथ ही नदी में रहने वाली मछलियों में भी अल्सर रोग होता है. लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि खेत के पास बने तालाब में पलने वाली मछलियों में अल्सर होने की संभावना ज्यादा रहती है. इस बीमारी की पहचान मछलियों के शरीर पर खून जैसे लाल धब्बे हो जाते हैं. कुछ दिन बाद यही धब्बे घाव बन जाते हैं और मछलियों की मौत हो जाती है. 

तालाब में ऐसे कर सकते हैं अल्सर की रोकथाम

तालाब को किनारे से इतना ऊंचा उठा दे या बांध बना दें कि उसमे आसपास का गंदा पानी न जाए. खासतौर पर बारिश के मौसम में बरसात होने के बाद तालाब के पानी का पीएच लेवल जरूर चेक करते हैं. या फिर बारिश के दौरान तालाब के पानी में 200 किलो के करीब चूना भी मिलाया जा सकता है. 

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मछलियों में अल्सर फैल जाए तो ऐसे करें इलाज 

अगर तालाब की कुछ मछलियों को अल्सर हो जाए तो उन्हें  अलग कर दें. और अगर तालाब की ज्यातदातर मछलियों में अल्सर बीमारी फैल गई है तो तालाब में कली का चूना जिसे क्वि क लाइम भी कहते हैं के ठोस टुकड़े डाल दें. एक्सपर्ट के मुताबिक प्रति एक हेक्टेयर के तालाब में कम से कम 600 किलो चूना डालें. चूने के साथ ही 10 किलो ब्लीचिंग पाउडर भी प्रति एक हेक्टेयर के हिसाब से डालें. इसके साथ ही लीपोटेशियम परमेगनेट का घोल भी प्रति एक हेक्टेयर के तालाब में एक लीटर तक ही डालें.