गंगा नगरी वाराणसी सूखे का संकट का सामना कर रहा है. प्रशासनिक लिहाज से पूरे वाराणसी को कुल 8 ब्लॉक में बांटा गया है. इसमें से 2 ब्लॉक पिछले 5 साल से डार्क जोन में हैं. देश के कई राज्यों में भूगर्भ जल का दोहन तेजी से बढ़ रहा है. वाराणसी के 8 ब्लॉक में से 2 ब्लॉक की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है. वाराणसी के आराजीलाइन और हरहुआ ब्लॉक लगातार पिछले 5 सालों से डार्क जोन से बाहर नहीं निकल सके हैं. इन दोनों ब्लॉकों में भूगर्भ जल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. ऐसे में इन दो ब्लॉक पर सूखे का संकट बना हुआ है. आइए जानते हैं कि इन दो ब्लॉकों के हालात क्या हैं और सरकार कैसे सूखे के संकट का सामना करने के लिए काम कर रही है.
भूजल दोहन की वजह से वाराणी के इन दो ब्लॉकों पर सूखे का संकट बना हुआ है. हालांकि इन दोनों ब्लॉकों में भूजल स्तर को उठाने के प्रयास जारी हैं. लेकिन भूगर्भ जल निकासी की तुलना में चार्जिंग की रफ्तार भी धीमी गति चिंता का कारण बनी हुई है. हालांकि केंद्र सरकार की मनरेगा और अमृत सरोवर योजना के तहत पूरे प्रदेश में तालाब की खुदाई की गई है, जिससे कि भूगर्भ जल के स्तर को सेफ जोन में पहुंचाया जा सके, लेकिन इसके बावजूद भी वाराणसी की यह दोनों ब्लॉक डार्क जोन से बाहर नहीं निकल सके.
भूगर्भ जल विभाग के सहायक अभियंता राहुल शर्मा बताते हैं कि विभाग का जागरूकता अभियान लगातार चल रहा है. पिछले 5 सालों के आंकड़े को देखने से पता चलता है कि भूगर्भ जल के दोहन पर कुछ रोक लगी है.
वाराणसी जनपद की हरहुआ ब्लॉक में 2017 में वाटर रिचार्ज प्रति हेक्टेयर 5800.22 था, जबकि इसके सापेक्ष जल निकासी से 7718.24 रही. वहीं 2020 में 6467.29 प्रति हेक्टेयर वाटर रिचार्ज हुआ ,जबकि इसके सापेक्ष 7749.08 जल निकासी हुई. यहीं स्थिति 2022 में भी रही. हरहुआ में 2022 में प्रति हेक्टेयर जल निकासी हुई 5203 प्रति हेक्टेयर, जबकि 5182 प्रति हेक्टेयर रिचार्ज हुआ. आराजी लाइन ब्लॉक में भी 2022 में प्रति हेक्टेयर वाटर रिचार्ज 6152.01 रहा, जबकि जल निकासी 6437.68 प्रति हेक्टेयर रही. इस लिहाज से देखा जाए तो यह दोनों ब्लॉक पिछले 5 सालों से लगातार डार्क जोन में चल रहे हैं. भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर जल की बर्बादी को नहीं रोका गया तो दोनों ही ब्लाकों के लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा.
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उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल स्तर को लगातार बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार सक्रिय है. प्रदेश में पहली बार भूगर्भ जल की पैमाइश मनरेगा कर्मियों के सहयोग से हुई. पूरे प्रदेश में 17651 पंचायत के 23595 गांव में 40502 कुओं के जलस्तर की पैमाइश हुई. वहीं इसको जलदूत लोड किया गया है. मनरेगा विभाग के चलते अब प्रदेश में कुओं के संरक्षण की दिशा में भी कार्य हो रहा है. वहीं इस पैमाइश का आगे चलकर भूगर्भ जल विभाग को भी फायदा होगा.
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