`मौसम की मार, खराब बाजार से किसान बेज़ार` हर कीमत पर उन्हें खुश रखना जरूरीः धनखड़

`मौसम की मार, खराब बाजार से किसान बेज़ार` हर कीमत पर उन्हें खुश रखना जरूरीः धनखड़

कृषि क्षेत्र में सभी प्रकार की सब्सिडी को सीधे किसानों तक पहुंचाने की वकालत करते हुए धनखड़ ने कहा कि कृषि क्षेत्र को किसी भी रूप में दी जाने वाली कोई भी सब्सिडी सीधे किसानों तक पहुंचनी चाहिए. किसानों के तकनीक अपनाने की जरूरत की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा, "कृषि क्षेत्र में बदलाव की जरूरत है. बदलाव निरंतर होता रहता है. टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है. लेकिन किसान अभी भी पुराने ट्रैक्टर से चिपके हुए हैं. ट्रैक्टर एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सरकारी सब्सिडी सबसे ज्यादा है.

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 `मौसम की मार, खराब बाजार से किसान बेज़ार` हर कीमत पर उन्हें खुश रखना जरूरीः धनखड़ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को इस बात पर जोर दिया कि किसानों से जुड़े मुद्दों को समय पर सुलझाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश किसानों की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकता. धारवाड़ में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के अमृत महोत्सव समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन देते हुए उन्होंने कहा, "किसानों की समस्या पर राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. किसानों को आर्थिक सुरक्षा की जरूरत है. हम इस देश में यह बर्दाश्त नहीं कर सकते, ऐसा पहले कभी इतना नहीं हुआ कि किसानों की चिंताओं को पीछे छोड़ दिया जाए."

धनखड़ ने कहा कि किसानों की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते. उनकी समस्याओं को हल करने में समय की बहुत अहमियत है. सरकार काम कर रही है, और हमें समाधान खोजने के लिए सकारात्मक सोच के साथ सही दृष्टिकोण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, किसान देश का अन्नदाता है, देश का भाग्य विधाता है. किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है. कपड़ा, खाद्य और खाद्य तेल जैसे कृषि आधारित उद्योग समृद्ध हो रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं. हमारे किसानों को इन लाभों में बराबरी के साथ हिस्सा लेना चाहिए. इन संस्थानों को अपने सीएसआर फंड का उपयोग किसान कल्याण और कृषि क्षेत्र अनुसंधान के लिए करना चाहिए, क्योंकि कृषि उपज उनकी जीवन रेखा है, जिस पर किसान का नियंत्रण है. हमें अपने किसानों को किसी भी कीमत पर खुश रखना चाहिए.

क्या कहा उपराष्ट्रपति ने?

उपराष्ट्रपति ने कहा, पीएम किसान सम्मान निधि एक खास योजना है, जिसके तहत 100 मिलियन (10 करोड़) किसानों को 3.5 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं. उर्वरकों सहित सभी सब्सिडी सीधे किसानों तक पहुंचनी चाहिए, ताकि वे अपने उपयोग का निर्णय ले सकें. डीबीटी किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के विकल्प तलाशने के लिए बढ़ावा दे सकती है.

"हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि जब किसान आर्थिक रूप से ठीक होता है, तो अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है, क्योंकि किसान की खर्च करने की शक्ति यही होती है. जब किसान खर्च करता है, तो अर्थव्यवस्था अपने आप आगे बढ़ती है. और इसलिए, हम एक और सकारात्मक प्रभाव डालेंगे. अगर कृषि क्षेत्र जीवंत, समृद्ध, देखभाल वाला होगा, तो कृषि क्षेत्र में कोई एनपीए नहीं होगी. हमें किसान पर उसी तरह ध्यान देना चाहिए, जैसे हम आईसीयू में अपने मरीजों पर देते हैं", उपराष्ट्रपति ने कहा.

तकनीक अपनाने पर जोर

खराब मौसम और बाजार जोखिम के तनावों से किसानों को राहत दिलाने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा, "कृषि क्षेत्र को तनावों से मुक्त करने और उनका विश्लेषण करने का समय आ गया है. सरकार बहुत कुछ कर रही है, लेकिन किसान खराब मौसम, खराब बाजार स्थितियों पर निर्भर है. अगर कमी है, तो उसे नुकसान उठाना पड़ता है. अगर बहुत कुछ है, तो उसे नुकसान उठाना पड़ता है. और इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए तरीके तैयार करने होंगे कि हमारे किसान अच्छे आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखें." 

कृषि क्षेत्र में सभी प्रकार की सब्सिडी को सीधे किसानों तक पहुंचाने की वकालत करते हुए धनखड़ ने कहा कि कृषि क्षेत्र को किसी भी रूप में दी जाने वाली कोई भी सब्सिडी सीधे किसानों तक पहुंचनी चाहिए. किसानों के तकनीक अपनाने की जरूरत की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा, "कृषि क्षेत्र में बदलाव की जरूरत है. बदलाव निरंतर होता रहता है. टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है. लेकिन किसान अभी भी पुराने ट्रैक्टर से चिपके हुए हैं. ट्रैक्टर एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सरकारी सब्सिडी सबसे ज्यादा है. किसान को तकनीक अपनानी चाहिए और इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों को केंद्र बिंदु बनाना चाहिए."

 

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