अरब ही नहीं ट्यूनीशिया-अल्जीरिया के डेगलेट-मेडजूल खजूर भी बिक रहे बाजारों में

अरब ही नहीं ट्यूनीशिया-अल्जीरिया के डेगलेट-मेडजूल खजूर भी बिक रहे बाजारों में

भारत में खजूर के शौक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बाजारों में ठेल पर 100 रुपये का एक किलो खुला हुआ खजूर भी बिक रहा है. वहीं रंग-बिरंगी महंगी पैकिंग में 26 सौ रुपये किलो के भाव से अजवा खजूर है तो 350 रुपये किलो टहनी वाला खजूर भी बिक रहा है. 

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अरब ही नहीं ट्यूनीशिया-अल्जीरिया के डेगलेट-मेडजूल खजूर भी बिक रहे बाजारों मेंखजूर का प्रतीकात्मक फोटो.

जानकारों के मुताबिक दुनियाभर में खजूर की 200 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं. खजूर की सबसे ज्यादा वैराइटी अरब देशों में पैदा होती हैं. खास बात यह है कि 25 से 30 तरह का खजूर तो भारतीय बाजारों में भी मिल जाता है. देश में खजूर के शौकीन हैं इसीलिए 25 से 26 सौ रुपये किलो बिकने वाला अजवा खजूर रमजान (रोजे) के दौरान 3500 से 5 हजार रुपये किलो तक बिक जाता है. खजूर के भारतीय शौकीन अरब के साथ ही ट्यूनीशिया-अल्जीरिया और मोरक्को का खजूर भी पसंद करते हैं. इराक की भी दो खास वैराइटी पसंद की जाती हैं.   

खजूर के टेडर्स हाजी इकबाल बताते हैं कि दिल्ली की आजादपुर मंडी में खाली होने वाले खजूर के कंटेनर की संख्या बताती है कि दिन-बा-दिन भारत में खजूर की डिमांड बढ़ रही है. भारतीय बाजारों में अरब का अजवा, कीमिया, क्रॉउन, फरहद खजूर बिक रहा है तो ट्यूनीशिया-अल्जीरिया और मोरक्को का डेगलेट, मेडजूल, बरही, खदरावही, हल्लवी, डेयरी और इतिमा की भी डिमांड है. 

भारतीय बाजारों में आसानी से मिलने वाले विदेशी खजूर

डेगलेट नूर – 

डेगलेट नूर खजूर ट्यूनीशिया और अल्जीरिया दोनों ही जगहों पर पाया जाता है. जैसे अजवा खजूर अरब देश की बेहतरीन किस्म है उसी तरह से डेगलेट नूर ट्यूनीशिया और अल्जीरिया की खास वैराइटी है. डेगलेट नूर की खासियत यह है कि यह थोड़ा सूखा और कम मीठा होता है. डायबिटीज के मरीज भी बिना डरे से खा सकते हैं. हालांकि भरपूर उत्पादन न होने के चलते यह भारतीय बाजारों में कम ही दिखता है. 

मेडजूल –

मेडजूल खजूर मोरक्को में पैदा होता है. इसकी खास बात यह है कि अपने स्वाद के चलते इसे बहुत पसंद किया जाता है. लोग मेडजूल को टॉफी की तरह से खाते हैं. वैसे तो सभी वैराइटी के खजूर के लिए यह बात कही जाती है, लेकिन मेडजूल को सबसे पौष्टिक खजूर कहा गया है. यह गहरे काले रंग का खजूर होता है. 

बरही – 

बरही खजूर अपने रंग और साइज के चलते एक अलग ही पहचान रखता है. बरही गोल्डन कलर का होता है. बाकी के खजूर से इसका स्वाद बहुत ही अलग होता है. और सबसे बड़ी खास बात जो इसकी पहचान भी है, वो यह कि इस खजूर में गूदा बहुत होता है. इसीलिए यह दिखने में मोटा भी होता है. 

हल्लवी – 

हल्लवी खजूर खासतौर पर इराक की वैराइटी है. यह दिखने में बहुत छोटा होता है. लेकिन इसके अंदर मिठास बहुत होती है. स्वाद में भी यह बहुत अच्छा माना जाता है. दूसरे खजूर की तरह से हल्की बारिश में इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. 

हयानी – 

हयानी खजूर के भारतीय बाजारों में कम दिखने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इसे ताजा ही खाया जाता है. क्योंकि दूसरे खजूर के मुकाबले हयानी जल्दी खराब होने वाला खजूर है. यह बहुत ही मुलायम और गहरे रंग का होता है. 

खदरावई –
खदरावई खजूर भी इराक में ही ज्या‍दा पैदा होता है. खदरावई की खास बात यह भी है कि इस खजूर के पेड़ दूसरे पेड़ के मुकाबले कम लंबे होते हैं. 

डेयरी – 

यह खजूर गहरे काले रंग का होता है. इसकी खास बात यह है कि दूसरे खजूर के मुकाबले यह काफी लंबा होता है.

इतिमा– 

यह खजूर भी स्वाद में काफी मीठा होता है. इतिमा अल्जीरिया की वैराइटी है.
 

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