CPCRI के क्रॉपिंग सिस्टम से बढ़ाएं खेती, नारियल और सुपारी की फसलों से 2-3 गुना ज्यादा आमदनी पाएं

CPCRI के क्रॉपिंग सिस्टम से बढ़ाएं खेती, नारियल और सुपारी की फसलों से 2-3 गुना ज्यादा आमदनी पाएं

आईसीएआर-सीपीसीआरआई (CPCRI) द्वारा विकसित नारियल और सुपारी आधारित फसल प्रणाली किसानों के लिए खेती को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने का रास्ता दिखा रही है. मिश्रित फसलों जैसे नारियल, काली मिर्च, केला, अनानास और कोको के संयोजन से उत्पादकता में 2-3 गुना तक की वृद्धि संभव है.

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CPCRI के क्रॉपिंग सिस्टम से बढ़ाएं खेती, नारियल और सुपारी की फसलों से 2-3 गुना ज्यादा आमदनी पाएंनारियल और सुपारी की खेती कर रहे किसानों को फायदा

केंद्रीय पौधशाला फसल अनुसंधान संस्थान (CPCRI) के निदेशक डॉ. के. बालचंद्र हेब्बार ने बताया कि संस्थान द्वारा विकसित की गई फसल प्रणाली (cropping systems) खेती की उत्पादकता, मुनाफे और जलवायु सहनशीलता को बेहतर बना सकती है. ये मॉडल खासतौर पर नारियल और सुपारी की फसलों पर आधारित हैं. सीपीसीआरआई की तरफ से विकसित एक प्रमुख मॉडल नारियल, काली मिर्च, केला और अनानास की फसलों का मिश्रण है. इस प्रणाली से प्रति हेक्टेयर सालाना 13.5 से 14 लाख रुपये तक की  आय होती है, जो अकेले नारियल की फसल से होने वाली आमदनी से 2-3 गुना ज्यादा है. यह मॉडल अब तक नारियल की खेती वाले 22 लाख हेक्टेयर में से लगभग 10% क्षेत्र में अपनाया गया है. लेकिन इसके विस्तार की बड़ी संभावना है.

सुपारी, काली मिर्च, कोको और केले की प्रणाली

एक और प्रभावशाली मॉडल सुपारी, काली मिर्च, कोको और केले की मिश्रित खेती है. यह प्रणाली किसानों को सालभर स्थिर आय देती है. इससे सालाना 10 से 14.4 लाख रुपये तक की शुद्ध आमदनी होती है. यह मॉडल छोटे और मझोले किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है.

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खेत की मिट्टी और पानी के संरक्षण की तकनीक

हेब्बार ने बताया कि नारियल के पौधों की कतारों के बीच में ट्रेंच (गड्ढे) बनाकर उसमें जैविक कचरा डालने से मिट्टी की नमी बनी रहती है और इसकी गुणवत्ता में सुधार होता है. इससे फसल की उपज में 20-30% की बढ़ोतरी देखी गई है. यह तकनीक सूखे मौसम में भी फसलों को नुकसान से बचाती है.

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बेहतर किस्मों से बढ़ेगा उत्पादन

सीपीसीआरआई ने नारियल, सुपारी और कोको की कई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो अधिक पैदावार और जलवायु प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं. जैसे:

  • नारियल: कल्प रत्ना, केरा केरलम, चंद्र कल्पा, कल्प मित्रा, कल्प धेनु, कल्पतरु
  • हाइब्रिड किस्में: कल्प समृद्धि, चंद्र लक्ष, केरा संकरा
  • सुपारी: शतामंगल, मधुरमंगल, स्वर्णमंगल
  • कोको: VTLCH 3, VILCH 4, VTLCC 1

इन किस्मों को अपनाने से उत्पादन में 10 फीसद तक की बढ़ोतरी संभव है. यह 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के तहत सीपीसीआरआई की पहल. 

सीपीसीआरआई 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के तहत किसानों को फील्ड लेवल पर प्रशिक्षण और वैज्ञानिक तरीके सिखाने का काम कर रहा है. इसका उद्देश्य खेती को अधिक लाभदायक, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है.

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