काउंसिल ऑफ स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड (COSAMB) देश में 2 हजार करोड़ रुपये से हाईटेक फल-सब्जी मार्केट यानी मंडी बनाने में जुटा हुआ है. इसको लेकर COSAMB की तरफ से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और ये मामला प्रधानमंत्री कार्यलय (PMO) तक पहुंच गया है, जिसके तहत COSAMB के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ जेएस यादव ने प्रधानमंत्री के प्रधानमंत्री सचिव पीके मिश्रा को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस हाईटेक मंंडी की अवधारणा और उसके लिए फंड जुटाने के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया की जानकारी एक कॉन्सेप्ट नोट में दी है.
दावा किया जा रहा है कि एक बार इस हाईटेक मंंडी के बन जाने के बाद इसे दुनिया की सबसे बड़ी (डेली कारोबार के अनुसार) फल-सब्जी मंडी का खिताब मिलेगा. COSAMB के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ जेएस यादव ने किसान तक से विशेष बातचीत में बताया कि अभी बेंगलुरु में इस हाईटेक फल सब्जी मंंडी की स्थापना का विचार है.
फल-सब्जियों की ही मंडी क्यों बनाई जा रही हैं. इस सवाल के जवाब में COSAMB के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ जेएस यादव बताते हैं कि अनाज समेत तिलहनों का MSP तय हो गया है, जबकि फल-सब्जियों की ग्रोथ बनी हुई है, जिसमें अभी भी बढ़ाेतरी की प्रबल संंभावना है. मसलन, किसानों के लिए फल-सब्जियों की खेती फायदे का सौदा है. इसकी वजह ये है कि भारत कम कीमत में अधिक फल-सब्जियों का उत्पादन करने वाले देश है, लेकिन भारतीय फल-सब्जियों को ग्लोबली बाजार उपलब्ध कराने के लिए फूड सेफ्टी, हाईजीन, सर्टिफिकेशन, टेस्टिंग, प्रोटोकाल जैसे स्टैंडर्डों की कमी चुनौती बनी हुई है और बड़ी मंडियाें से ही इसका समाधान है, जहां ये सब काम आसानी से मशीनों से हो सकेंगे.
देश में बड़ी फल-सब्जी मंडियों के निर्माण के लिए COSAMB इंटरनेशनली फंड जुटाने में लगा हुआ है, जिसमें COSAMB को शुरुआती सफलता भी मिलती हुई दिखाई दे रही हैं, जिसके बाद ही COSAMB ने पीएमओ को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है. इस संबंध में COSAMB के मैनेजिंंग डायरेक्टर डॉ जेएस यादव कहते हैं कि देश में बड़ी फल-सब्जी मंंडी के निर्माण और पुरानी मंंडियों के ढांचागत बदलाव के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का फंड जुटाने की प्रक्रिया जारी है. जिसके तहत FAO और जर्मनी की GIZ के सामने प्रस्ताव रखा गया है.
डॉ जेएस यादव ने बताया कि GIZ का बेंगलुरु में इंफास्ट्रक्चर है, वह बेंगलुरु में मंडी निर्माण के लिए फंड देने को तैयार है. अगर ये फंड आता है तो एक्सपोर्ट, फूड सेफ्टी, हाईजीन के लिए इंफास्ट्रक्चर विकसित करने में आसानी होगी.
COSAMB के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ जेएस यादव ने बताया कि देश में हाईटेक फल-सब्जी मार्केट बनाने की बेहद ही जरूरत है. क्यों के सवाल का जवाब देते हुए वह कहते हैं कि भारत मंंडियों की संख्या के मामले में सौभाग्यशाली है. भारत में 7 हजार से अधिक रेग्यूलेटेड मंडियां हैं तो वहीं लगभग 38 हजार ग्रामीण बाजार हैं, जहां बिक्री के लिए पहले उत्पाद जाते हैं. उन्होंने बताया कि ये सब बाजार बहुत छोटे हैं और कोई भी राज्य सरकार अपनी मंंडियों में बड़ा निवेश नहीं करती है, जबकि ग्लोबल मार्केट से प्रतिस्पर्द्धा के लिए बड़ी मंंडियों की जरूरत है, जिसमें फूड सेफ्टी, हाईजीन, सर्टिफिकेशन, टेस्टिंग, प्रोटोकाल जैसी सुविधाएं हो, इससे एक्सपोर्ट आसान होगा. उन्होंने कहा कि इन्हीं मानक पर देश में दो मंडियां बनाई जा रही हैं, जिसमें IIHM गुनौर और हैदराबाद की निर्माणाधीन फल-सब्जी मंंडी शामिल हैं.
COSAMB के मैनेजिंंग डायरेक्टर डा जेएस यादव ने बताया कि दुनिया के कई देश अपनी फूड सिक्योरिटी के लिए भारत की तरफ देख रहे हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए भी इंटरनेशल मानकों के अनुरूप मंंडियों का निर्माण भी भारत के लिए जरूरी है. उन्होंने बताया कि खाड़ी देश चाहते हैं कि भारत जरूरत के समय उनकी फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित करे. इसके लिए वह करार करना चाहते हैं, जिसमें अबू धाबी सबसे आगे है. अबू धाबी ने ग्लोबल फूड हब बनाया है, वह दुनिया का सबसे बड़ा हब है. वह इंडिया पवेलियन बनाने की मांग की गई है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today