किसान दिवस (Kisan Diwas 2022) पर आज देश भर में चौधरी चरण सिंह को याद किया जा रहा है. किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह से जुड़े ना जाने कितने किस्से हैं जो आज भी एक मिसाल कायम करते हैं. ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है उनकी पढ़ाई के दिनों से. पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह बीएससी और लॉ ग्रेजुएट थे. उन्होंने आगरा से अपनी पढ़ाई की थी. परिवारवाद का विरोध करने वाले चरण सिंह जातिवाद के भी खिलाफ थे. मगर इस वजह से पढ़ाई के दौरान ही उनके साथ ऐसी घटना हुई जिसके चलते उनका बहिष्कार कर दिया गया. हालात ये थे कि हॉस्टल की मेस में पूरे एक महीने उन्हें खाना तक नहीं मिला. बावजूद इसके चरण सिंह अपने विचार और फैसले पर कायम रहे.
चौधरी चरण सिंह के साथ रहे और उन्हें करीब से जानने वाले डॉ. के.एस राना ने किसान तक को बताया कि उस वक्त जब महात्मा गांधी ने सहभोज आंदोलन चलाया हुआ था, तब सभी जातियों के लोग एक-दूसरे के साथ बैठकर भोजन कर रहे थे. चौधरी साहब महात्मा गांधी को मानने वाले थे. इसी के चलते उन्होंने भी इस सहभोज में हिस्सा लिया. जिसके बाद आगरा कॉलेज के हॉस्टल में उनका बहिष्कार कर दिया गया. ये बहिष्कार इस स्तर का था कि उन्हें हॉस्टल की मेस में खाना भी नहीं खाने दिया गया.
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इसके चलते चौधरी साहब हॉस्टल से थोड़ी ही दूरी पर राजा मंडी बाजार में पंडित श्रीराम शर्मा के घर खाना खाने जाते थे. यह सिलसिला पूरे एक महीने तक चला. बाद में कुछ लोगों ने मध्यस्ता कर चौधरी साहब की एंट्री मेस में कराई. लेकिन इस सब से चौधरी साहब ने अपने फैसले और विचार में कोई परिवर्तन नहीं किया.
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डॉ. केएस राना एक और किस्सा याद करते हुए बताते हैं कि महाराष्ट्र में एक बड़ी बैठक बुलाई गई थी. कांग्रेस के सभी बड़े लीडर उसमें शामिल थे. इसी दौरान चौधरी साहब ने एक मसौदा तैयार कर चर्चा की कि अगर एक खास ग्रेड की सरकारी नौकरी में यह नियम लागू कर दिया जाए कि अंतरजातीय विवाह करने वाले को ही उस ग्रेड में नौकरी दी जाएगी तो देश से जल्द ही जातिवाद भी खत्म हो जाएगा. लेकिन उस वक्त के माहौल को देखते हुए इस प्लान को यह कहकर मना कर दिया गया कि इससे पार्टी के खिलाफ आक्रोश खड़ा हो जाएगा और अभी लोग इतने जागरुक भी नहीं हैं.
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