तेलंगाना के किसानों के लिए खुशखबरी है, खासकर वारंगल क्षेत्र के लिए. यहां उगाई जाने वाली चपाटा मिर्च को जीआई टैग मिला है. इस मिर्च के लिए लंबे दिनों से किसान जीआई टैग की मांग उठा रहे थे. अब उनकी मांग पूरी हो चुकी है. इससे वारंगल इलाके के 20,000 से अधिक किसानों को सीधा लाभ होगा. इस मिर्च को अंग्रेजी में टोमैटो चिली यानी टमाटर मिर्च भी कहते हैं.
एक्सपर्ट का मानना है कि इस मिर्च को जीआई टैग मिलने से इसकी खेती में लगे हजारों किसानों को फायदा होगा. उनकी उपज को अच्छे दाम मिलेंगे. साथ ही विदेशी मार्केट तक पहुंच बढ़ेगी. चपाता मिर्च को सबसे अच्छी वैरायटी में गिना जाता है क्योंकि इसका आकार, रंग और स्वाद बाकी मिर्च से खास और यूनीक होता है.
वारंगल की इस मिर्च को जीआई टैग मिलने के साथ ही यह सुर्खियों में आ गई है. जीआई टैग मिलने के साथ ही इस मिर्च को आधिकारिक तौर पर विशिष्ट होने की पहचान मिल गई है. इससे वारंगल के इलाके की पहचान भी बढ़ेगी क्योंकि उसी क्षेत्र में चपाता मिर्च की खेती होती है. जीआई टैग मिलने से किसानों की कमाई बढ़ने और उनकी संभावनाएं बढ़ने के साथ ही निर्यात और प्रोसेसिंग उद्योग में मांग बढ़ने की पूरी संभावनाएं हैं.
ये भी पढ़ें: 3 राज्यों में अपना दायरा बढ़ाएगी लाल मिर्च की ये कंपनी, खेती की रिसर्च में करेगी मदद
चपाता मिर्च अपने चमकीले लाल रंग और हल्के तीखेपन के लिए जानी जाती है, जो इसे अचार बनाने वालों के बीच पसंदीदा विकल्प बनाती है. इसका प्राकृतिक लाल रंग इसे खाने और पेय उद्योग में सिंथेटिक रंगों की जगह प्राकृतिक रंग एजेंट के रूप में भी यूनीक बनाता है.
यह मिर्च वारंगल, हनमाकोंडा, मुलुगु और भूपलपल्ली जिलों में फैले गांवों में 3,000 हेक्टेयर में उगाई जाती है. इस किस्म की खेती इस क्षेत्र में 80 से अधिक वर्षों से की जा रही है, जिसका सालाना उत्पादन 11,000 टन है.
ये भी पढ़ें: टमाटर, शिमला मिर्च, ब्रोकली की खेती कर कमा रहे लाखों का मुनाफा, लोगों को दे रहे रोजगार
मिर्च की यह किस्म तीन अलग-अलग प्रकारों में आती है:
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today