Cattle Disease: पशुओं में सर्रा बीमारी का कारण क्या है, कैसे करें इलाज? ऐसे 5 सवालों के पढ़ें जवाब

Cattle Disease: पशुओं में सर्रा बीमारी का कारण क्या है, कैसे करें इलाज? ऐसे 5 सवालों के पढ़ें जवाब

अगर आप पशुपालक हैं तो आपको ये जानना जरूरी है कि पशुओं में सर्रा बीमारी का कारण क्या होता है. ये भी जानेंगे कि इसका इलाज क्या है. इस तरह के पांच सवालों में पशुओं को होने वाली अलग-अलग बीमारियों और उसके उपचार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.

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Cattle Disease: पशुओं में सर्रा बीमारी का कारण क्या है, कैसे करें इलाज? ऐसे 5 सवालों के पढ़ें जवाबपशुओं में सर्रा बीमारी

पशुपालन की दृष्टि से पशुओं के स्वस्थ होने का बड़ा महत्व होता है. एक स्वस्थ पशु से ही अच्छे और स्वस्थ बच्चे और अधिक दूध उत्पादन की आशा की जा सकती है. दरअसल, कई बार पशुओं के बीमार होने पर भी पशुपालक ये समझ नहीं पाते हैं कि मवेशियों को क्या हुआ है. वहीं, जब बाद में उन्हें पता चलता है तब तक बीमारी काफी तेजी से अपने पैर पसार चुकी होती है. इसकी वजह से कई बार पशुपालकों को आर्थिक रूप से नुकसान भी उठाना पड़ता है. साथ ही कई बार पशुओं को अपनी जान गंवानी पड़ती है. ऐसे में क्या पशुपालक ये जानते हैं कि पशुओं में सर्रा बीमारी का कारण क्या होता है और इसका इलाज कैसे कर सकते हैं? तो आइए ऐसे हम देंगे इस तरह के 5 सवालों के जवाब.

प्रश्न- पशुओं में सर्रा बीमारी का कारण क्या है, कैसे करें इलाज?

उत्तर- पशुओं में सर्रा का कारण खून में पाए जाने वाले ट्रिपैनोसोमा नामक प्रोटोजोआ है. यह प्रोटोजोआ खून चूसने वाली मक्खी द्वारा बीमार पशुओं से स्वस्थ पशुओं में फैल जाता है. इस बीमारी के होने पर बीमार पशु बार-बार पेशाब करते हैं और आंखें लाल हो जाती हैं. शरीर का तापक्रम 106-108 डिग्री हो जाता है. आंखें बहने लगती हैं और कभी-कभी आंखों की काली पुतली पर सफेद झिल्ली आ जाती है, ऐसे में पशु खाना कम कर देते हैं. इसके अलावा दूध सूख जाता है. वहीं गाभिन पशु का बच्चा गिर जाता है. अब बात करें इस बीमारी के इलाज की तो इसकी मुख्य दवाएं जैसे बेरेनिल, ट्राई क्वीन, एन्ट्री साइड प्रोसाल्ट है. इसे आप अपने निकटतम पशु-चिकित्सक की परामर्श से प्रयोग करना चाहिए.

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प्रश्न- कुछ गाय और भैंस मिट्टी खाती हैं, इसका क्या उपचार है?

उत्तर- गाय-भैंसों के मिट्टी खाने वाले बीमारी को पाईका कहते है, जो फास्फोरस की कमी से होता है. ऐसे पशु कागज, प्लास्टिक, मिट्टी सब कुछ खा लेते हैं. इसके उपचार के लिए पशुओं को प्रतिदिन खनिज मिश्रण जैसे एग्रीमिन, कैल्डी मीन, मिल्कमिन, मिनरल फोर्ट, मिनिमिक्स 40-50 ग्राम और कृमिनाशक दवा देना चाहिए.

प्रश्न- गाय के ब्याने के बाद उसके चारों थनों से खून क्यों आता है. ऐसा होने पर क्या करें?

उत्तर- पशुओं के चारों थनों से खून आने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन ये मुख्य रूप से कैल्शियम की कमी से थनों से खून आ जाते हैं. खून अलग से दिखाई नहीं देता लेकिन चारों थनों का खून हल्का गुलाबी या लाल नजर आता है. ऐसी स्थिति में कैल्शियम इंजेक्शन जैसे मायफेक्स, थाईकाल, कैल्शियम-बोरोग्लूकोनेट नस में लगाने से लाभ हो सकता है.

प्रश्न- यूरिया उपचारित भूसा खिलाने का सुझाव दिया जाता है. क्या इससे पशु मर जाते हैं?

उत्तर- यूरिया उपचारित भूसा खिलाने से आपका पशु बिलकुल नहीं मरेगा बल्कि इससे उसका दूध उत्पादन और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. बस ये ध्यान रखें कि यूरिया की मात्रा 4 किलो प्रति 100 किलो भूसा से अधिक नहीं होनी चाहिए. इससे अधिक होने पर पशुओं को नुकसान हो सकता है.

प्रश्न- गाय या भैंस पतला गोबर करती है और इस कारण दुबली पतली हो जाती है. बचाव के क्या उपाय हैं?

उत्तर- पतला गोबर पशुओं में केंचुओं के प्रकोप के कारण होता है. अगर ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है तो केंचुआनाशी दवा देनी चाहिए, लेकिन कभी-कभी पतले गोबर को रोकने के लिए सेट्रोजिल वोलस एक-एक (सुबह-शाम) तीन दिन या सल्फा मीडीन वोलस 2-2 सुबह-शाम चावल के माड़ में देना चाहिए. संभव हो तो 100 मि.ली. सल्फाडीमीडीन नस में देना चाहिए.

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