
बिहार का सुपरफूड 'फॉक्स नट्स' यानी मखाना अब सिर्फ राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश और विदेश में लोकप्रियता बटोर रहा है. वैसे तो मखाना के बारे में आप सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं. इसकी पहचान ड्राई फ्रूट्स के रूप में की जाती है. वहीं, कई लोग इसे फॉक्स नट या लोटस सीड के नाम से भी जानते हैं. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण इसकी लोकप्रियता और मांग देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा विदेशों में भी काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. वहीं, हाल ही में बिहार के इस मिथिला मखाने को एक नई पहचान मिली है. या ऐसा कहें कि इसे विदेशों में निर्यात करने के लिए 'पासपोर्ट नंबर' मिल गया है. आइए जानते हैं क्या है वो 'पासपोर्ट नंबर'.
दरअसल, बिहार के मिथिला मखाना को ग्लोबल पासपोर्ट मिल गया है. मखाना को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खास हार्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) कोड दिया गया है. साथ ही बिहार का सुपरफूड मखाना अब वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से पहचाना जाएगा. इससे इस खास किस्म के ड्राई फ्रूट्स को नई पहचान मिली है. बता दें कि यहां के किसानों की वर्षों के प्रयासों के बाद मखाना उत्पादकों, प्रोसेसर और उद्यमियों को अब उनका हक मिला है. मिथिलांचल खासकर दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार समेत अन्य जिलों की खास पहचान यह मखाना है. इस कोड के मिलने से यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपने अलग नाम और हक से जाना जाएगा. इससे इसके व्यापार में सहूलियत बढ़ेगी.
मखाना को तीन विशेष कैटेगरी में बांटकर इसके लिए एचएस कोड (HS Code) निर्धारित किए गए हैं. इसमें पॉप मखाना के लिए 20081921, मखाना पाउडर और आटा के लिए 20081922 और अन्य तरह के मखाना उत्पादों के लिए 20081929 कोड दिया गया है. दरअसल, मखाना से प्रोडक्ट पर एचएस कोड लगा होने से सीमा शुल्क अधिकारी उत्पाद की सही तरीके से पहचान कर उचित शुल्क लगाते हैं. इसके अलावा वैश्विक मानकों के आधार पर इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसानी से स्वीकृति मिलेगी और विदेशों में क्लीयरेंस में भी आसानी होगी.
एचएस कोड एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त प्रणाली है, जिसे विश्व सीमा शुल्क संगठन के स्तर से वस्तुओं के व्यापार, निर्यात और आयात के लिए दिया जाता है. इसके तहत चुने गए हर उत्पाद को एक 6 अंकों का अंतरराष्ट्रीय कोड मिलता है. भारत जैसे देशों में खासतौर पर जीएसटी और कस्टम के लिए 8 अंकों का कोड उपयोग में लाया जाता है. वहीं, इस अलग पहचान मिलने से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. सरकारी योजनाओं और निर्यात प्रोत्साहनों का लाभ आसानी से मिलेगा. सप्लाई चेन, मार्केटिंग और टैक्स में भी आसानी आएगी.
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