भारत में पान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसका मुख्य कारण ये है कि यहां पान की मांग काफी ज्यादा है. जिस वजह से यहां पान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. आपको बता दें पान का इस्तेमाल धार्मिक कामों से लेकर खाने तक में इस्तेमाल किया जाता है. पान की बेल एक बारहमासी, सदाबहार बेल है जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय (tropical and subtropical) में बढ़ती है. आज के समय में पान की खेती स्थानीय खपत और निर्यात के लिए उगाया जाता है. प्रमुख पान उत्पादक देश में श्रीलंका, भारत, थाईलैंड और बांग्लादेश शामिल हैं. अगर भारत की बात करें तो इन 8 राज्यों में पान की खेती खासतौर पर की जाती है. जिस वजह से इन राज्यों में एक से बढ़कर एक किस्में मौजूद हैं. क्या है इन किस्मों का नाम आइए जानते हैं.
भारत में पान का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है. खासतौर पर माउथ फ्रेशनर के तौर पर इसका इस्तेमाल पसंद किया जाता है. इस पत्ते का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें नीबू, कत्था, सुपारी, गुलकंद और न जाने क्या-क्या मिलाया जा सकता है. कई लोगों को पान खाने की लत लग जाती है तो कई लोग इसके स्वाद के कारण इसे यूं ही खा लेते हैं. हालाँकि, अधिकांश लोग पान के पत्ते को इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण नहीं खाते हैं. पान के पत्ते का वैज्ञानिक नाम पाइपर बेटल है.
ये भी पढ़ें: Paan Ki Kheti: दिन में 11 बजे से पहले और शाम 3 बजे के बाद करें पान की रोपाई, जानिए क्यों
पान के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं.
पान के पत्तों से फंगस की वृद्धि को रोका जा सकता है.
पान के पत्ते एलर्जी प्रतिक्रियाओं से बचाते हैं.
यह चोट और घाव को ठीक करने में मदद करता है.
पान कब्ज की समस्या को ठीक कर सकता है.
पान के पत्तों का उपयोग दांतों को मजबूत बनाने और मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी किया जा सकता है. बैक्टीरिया से दांतों को होने वाले नुकसान को ठीक करने के लिए पान के पत्ते एक औषधि की तरह काम करते हैं. इसके साथ ही यह बैक्टीरिया से होने वाले मुंह के संक्रमण से भी राहत दिला सकता है.
3 अप्रैल, 2022 को अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध गीत "खइके पान बनारस वाला" में प्रदर्शित बनारसी पान को जीआई टैग दिया गया. विभिन्न सामग्रियों के अनूठे मिश्रण और विशिष्ट स्वाद के लिए मशहूर बनारसी पान अपने आप में खास है. वहीं तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के ऊथूर पान के पत्ते को तमिलनाडु राज्य कृषि विपणन बोर्ड और नाबार्ड मदुरै एग्रीबिजनेस इनक्यूबेशन फोरम द्वारा भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है. साथ ही बिहार के मगही पान को भी GI Tag से सम्मानित किया गया है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today