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Betel Farming: पान की खेती के लिए किस तरह की बेल अच्छी होती है, कैसे करें रोपाई

Betel Farming: पान की खेती के लिए किस तरह की बेल अच्छी होती है, कैसे करें रोपाई

उत्तर बिहार की बात करें तो यहां मुख्य रूप से पान की खेती की जाती है. साथ ही यहां बांग्ला पान किस्म की खेती की जाती है. जबकि मगही पान की किस्म की खेती दक्षिण बिहार में की जाती है. उत्तर बिहार में पान बेल जून से मध्य जुलाई तक लगाई जाती है.

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ऐसे करें पान की खेती ऐसे करें पान की खेती

पान की खेती, जिसे Betel Nut भी कहा जाता है, एक व्यापक और लाभकारी कृषि कार्य है जो कई देशों में की जाती है, खासकर एशिया में. पान की पत्तियां, काठी, चूना, तंबाकू, सुपारी को मिलाकर एक विशेष मिश्रण बनाया जाता है, जिसे पान कहते हैं. यह लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों में विशेष तौर पर खाया जाता है. इतना ही नहीं कई लोग खाने के बाद भी पान खाना और खिलना दोनों पसंद करते हैं. जिस वजह से पान की मांग हमेशा बनी रहती है. वहीं मांग को पूरा करने और मुनाफा कमाने के लिए अधिकतर किसान अब इसकी खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि इसकी खेती कर रहे किसानों को पान कि खेती से जुड़ी जानकारी हो. तो आइए जानते हैं किस तरह की बेल होती है अच्छी और कैसे करें इसकी रोपाई. 

पान की खेती के लिए सही बेल

आपको बता दें 3-5 वर्ष पुरानी तने की कटिंग जिसमें 3-5 गांठें हों साथ ही साफ और स्वस्थ पत्तियों की रोपाई सही मानी जाती है. मातृत्व पत्ते वाली लतर का एक गांठ वाला बेल भी रोपाई हेतु उपयुक्त पाया गया है. मातृत्व पत्ते वाली बेल का मतलब है वैसे लतर जिसमें ऊपरी और मध्य कलिका उपस्थित रहे और अंकुरण क्षमता अधिक हो. इस तरह का बेल नीचे जमीन से 90 से.मी. ऊपर के भाग, जिसमें किसी प्रकार के दाग-धब्बे न हों और सभी गांठ के पास एक पत्ती लगी हो, वह पान की खेती के लिए सही माना जाता है. बेल की टुकड़ों की लंबाई 15 से. मी. होनी चाहिए जिसे ब्लेड या तेज धार चाकू से काट कर मुख्य लतर से अलग कर लेना चाहिए. पान की उन्नत खेती के लिए जरूरी है कि आप पान के बेलों का उपचार कर लें ताकि किसी भी तरह की बीमारी का खतरा ना रहे. 

कैसे करें पान बेल का उपचार

बीज जनित रोगो से बचाव के लिए बेल का उपचार बेहद जरूरी है. एक हेक्टेयर रकबा में बेल लगाने के लिए 1.5 लाख बेल की जरूरत होती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान बेलों को उपचारित करने के बाद ही उसकी रोपाई करे. 

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बेलों को उपचारित करने का तरीका 

75 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लाराईड स्ट्रेप्टोसाकलीन (6 ग्राम) +25 लीटर पानी
ट्राइकोडरमा विरीडी (5 ग्राम) + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस (5 ग्राम) + 1 लीटर पानी
बोर्डो मिश्रण (0.5%) + स्ट्रप्टोसाइक्लीन (6 ग्राम)

कैसे करें पान की रोपाई

उत्तर बिहार की बात करें तो यहां मुख्य रूप से पान की खेती की जाती है. साथ ही यहां बांग्ला पान किस्म की खेती की जाती है. जबकि मगही पान की किस्म की खेती दक्षिण बिहार में की जाती है. उत्तर बिहार में पान बेल जून से मध्य जुलाई तक लगाई जाती है. दक्षिण बिहार में इसकी रोपाई मई से मध्य जून तक की जाती है. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 1.5 लाख लताएं उपयुक्त मानी जाती हैं. इसकी रोपाई के लिए मेड़ से मेड़ के बीच की दूरी 80-100 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-20 सेमी रखना उचित माना जाता है.

इन बातों का रखें ध्यान

रोपाई के समय की बात करें तो यह सुबह 11 बजे से पहले और दोपहर 3 बजे के बाद करनी चाहिए. प्रत्येक क्यारी में एक स्थान पर 10-20 सेमी की दूरी पर 4-5 सेमी की गहराई पर तीन बेलें लगाएं. प्रत्येक क्यारी में पौधारोपण दो पंक्तियों में करना चाहिए. रोपाई के बाद पौध को अच्छे से दबाना जरूरी है. पान की बेलों को दो पंक्तियों में उल्टी दिशा में लगाया जाता है ताकि सिंचाई आसानी से हो सके. प्रत्येक क्यारी पर लगाए गए पान के बेलों को भीगे हुए पुआल की हल्की परत से ढक दिया जाता है ताकि हवा का संचार बना रहे और मिट्टी में नमी भी बनी रहे.