सोयाबीन एक ऐसी फसल है जिसकी गिनती न सिर्फ तिलहन और दलहन में होती है बल्कि इसका आटा, दूध और पनीर (टोफू) भी बनाय जा सकता है. यह सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है, सोयाबीन में फाइबर होने से यह पाचन तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सोयाबीन में मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, जिंक और सेलिनियम की अच्छी मात्रा होती है. जो खून से संबंधित रोगों, हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने, नींद के अन्य रोगों के साथ-साथ अनिद्रा को कम करने में सहायक होती है. ऐसे में अगर आप सोयाबीन का दूध और पनीर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने तौर-तरीका बताया है. कुछ खास बातों पर ध्यान रखकर आप इसे घर पर ही तैयार कर सकते हैं.
सोयाबीन का पनीर बनाने की विधि के बारे में जो जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से जुड़े विशेषज्ञों ने दी है उसके अनुसार सबसे पहले सोयाबीन की दाल को 4-6 घंटे भिगोना पड़ेगा. फिर भीगी सोयाबीन की दाल को पर्याप्त गुनगुने पानी के साथ मिलाकर बिल्कुल महीन पीस लें और फिर बाकी बचा हुआ पानी मिला दीजिए. इस घोल को 15-20 मिनट उबालिये और महीन कपड़े से छान लीजिए. छानने पर जो पदार्थ कपड़े के ऊपर रहता है उसे ओकारा कहते हैं और जो नीचे घोल आया वह दूध होता है. ओकारा को गुलाब जामुन, हलवा, बिस्कुट इत्यादि बनाने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है.
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इस तैयार सोया दूध में सिट्रिक अम्ल घोल 2 ग्राम प्रति लीटर दूध दर से मिलाने पर दूध फट जाएगा. इसे फिर महीन मलमल के कपड़े से छानिये एवं कपड़े पर जो ठोस पदार्थ आया, उसे लपेट कर आधा घंटा वजन रखकर दबाइये, जिससे पानी पूरी तरह निकल जाए. अब कपड़े के ऊपर जो ठोस पदार्थ होता है उसे सोया पनीर या टोफू कहते हैं.
इसके लिए एक किलोग्राम सोयाबीन लें. उसमें पानी 6-8 लीटर लें. एसेंस दो से तीन बूंद और चीनी 500 ग्राम लें. सोया दूध स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्द्धक होता है. इसे कुटीर स्तर की आधुनिक मशीन द्वारा बना सकते हैं. इसमें एक बॉयलर, ग्राइंडर, स्टेनर, ऑटोक्लेव एवं टोफू मशीन होती है, जिसका मूल्य लगभग 2.5 लाख है. सोया दूध बनाने की विधि सोयाबीन की सफाई के बारे में भी जानना जरूरी है.
सबसे छिलका उतारना होगा. फिर 8 से 10 घंटे भिगोना होगा. उबलते पानी में ग्राइंडर से पीसना होगा. फिर उसे 20 से 30 मिनट तक उबालना और उसे मलमल के कपड़े से छानना होगा. अब इस सोया दूध को अपनी इच्छानुसार रंग एवं फ्लेवर का मिश्रण करें और शक्कर मिलाएं. एक किलोग्राम सोयाबीन से हमें 8 लीटर दूध प्राप्त होता है. 100 मिलीलीटर सोया दूध सेवन करने से 3.5 से 4 ग्राम प्रोटीन मिलता है.
सोया दूध को कांच की बोतल में भंडारित किया जाता है. ऑटोक्लेव नामक यंत्र में उबालने से दूध सामान्य तौर पर कीटाणुरहित हो जाता है. इसे शीतकरण यंत्र में रखने की जरूरत नहीं होती है. बंद बोतल में 3 महीने तक उत्तम दर्जे का स्वाद बना रहता है. अच्छे स्वाद के लिए यह ठंडा ही पीना चाहिए. बिना ऑटोक्लेव किया सोया दूध से टोफू, सोया दही, सोया छाछ, सोया श्रीखंड, सोया आइसक्रीम इत्यादि बना सकते हैं.
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