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Ayodhya holi : कचनार के फूलों के गुलाल से इस बार होली खेलेंगे रामलला, त्रेता युग में अयोध्या का था ये राज्य वृक्ष

Ayodhya holi : कचनार के फूलों के गुलाल से इस बार होली खेलेंगे रामलला, त्रेता युग में अयोध्या का था ये राज्य वृक्ष

अयोध्या में इस बार श्री रामलला कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे. एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कचनार के फूलों से बने गुलाल को खास तौर पर तैयार किया है. गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से भी हर्बल गुलाल तैयार किया गया है. संस्थान के निदेशक ने खास तौर पर तैयार किए गए दोनों तरह के गुलाल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट किया

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अयोध्या में इस बार श्रीरामलला कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे. एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कचनार के फूलों से बने गुलाल को खास तौर पर तैयार किया है. गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से भी हर्बल गुलाल तैयार किया गया है. संस्थान के निदेशक ने खास तौर पर तैयार किए गए दोनों तरह के गुलाल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट किये. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संस्थान के प्रयासों की सराहना की और उन्होंने कहा की उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के कई स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए आर्थिक अवसर एवं रोजगार प्रदान करेगा. निदेशक डॉ अजीत कुमार शासनी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में रामायण कालीन वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है. विरासत को सम्मान और परंपरा के संरक्षण देने के  मुख्यमंत्री के प्रयास हमारे वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा देने वाले हैं. 

रामलला से जुड़ा है कचनार वृक्ष 

त्रेता युग में कचनार को अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी कचनार को औषधिय रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल गुण मौजूद है. इस बार कचनार के फूलों से बने हुए गुलाल को खासतौर पर लखनऊ स्थित एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. इस गुलाल से अयोध्या की भव्य मंदिर में विराजमान श्रीरामलला होली खेलेंगे. 

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गोरखनाथ मंदिर में चढाये फूलों से तैयार हुआ हर्बल गुलाल

गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए हुए फूलों से हर्बल गुलाल को तैयार किया गया है. हर्बल गुलाल का परीक्षण भी एनबीआरआई के द्वारा किया जा चुका है. यह मानव त्वचा के लिए पूरी तरीके से सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल भी है. संस्थान के निदेशक डॉ अजीत कुमार शासनी ने बताया की गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से तैयार हर्बल गुलाल चंदन फ्लेवर में विकसित किया गया है. इन हर्बल गुलाल में रंग चमकीले नहीं होते हैं क्योंकि इनमें लेड, क्रोमियम और निकल जैसे केमिकल नहीं होते हैं. फूलों से निकल गए रंगों को प्राकृतिक घटकों के साथ मिलकर पाउडर बनाया जाता है जो त्वचा के लिए पूरी तरीके से सुरक्षित है। 

हर्बल गुलाब के फायदें

कचनार के फूलों से तैयार हर्बल गुलाल को  एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने लैवेंडर फ्लेवर में बनाया है जबकि गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाई फूलों से हर्बल गुलाल चंदन फ्लेवर में विकसित किया गया है. हर्बल गुलाल में लेड, क्रोमियम और निकल जैसे केमिकल नहीं है जिसके चलते इसे त्वचा से आसानी से पोंछ कर साफ किया जा सकता है. गुलाल की बाजार में बेहतर उपलब्धता के लिए भी इस तकनीक को कई कंपनियों और स्टार्टअप को हस्तांतरित किया गया है. बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल के उपयोग से स्किन से जुड़ी हुई बीमारियां हो रही है क्योंकि इनमें जहरीले रसायन मौजूद हैं. संस्थान के निदेशक डॉ  अजीत कुमार शासनी ने बताया कि हर्बल गुलाल की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका है कि यह अन्य गुलाल की तरह हाथों में जल्दी रंग नहीं छोड़ेगा. उनके द्वारा विकसित हर्बल गुलाल होली के अवसर पर बाजार में बिक रहे हानिकारक गुलाल के रंगों का एक सुरक्षित विकल्प भी है.