ताजा-ताजा फल..उनकी ललचा देने वाली खुशबू और जुबां पर चढ़ जाने वाले स्वाद हर किसी को अपना दीवाना बना देता है. फलों का राजा आम हो, ताकत देने वाला केला हो, सेहतकारी पपीता हो जब प्राकृतिक रूप से पकते हैं, तो वे स्वाद, सुगंध और पोषण से भरपूर होते हैं. परंतु, बाजारों में बिकने वाले अधिकतर फल आजकल कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक केमिकल की सहायता से पकाए जा रहे हैं. यह केमिकल न केवल फलों की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि खाने वाले के हेल्थ के लिए भी गंभीर खतरा है.
राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपूर में अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना पूर्व प्रधान अन्वेषक, डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग भारत में प्रतिबंधित है, फिर भी इसका धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा है. "केमिकल बैन फिर इस्तेमाल क्यों?" यह एक बड़ा सवाल है.
आज के समय में आम पपीता केला जैसे फलो को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल बड़ी ही तेज़ी से होता आ रहा है. भारत सरकार ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अंतर्गत कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग को अवैध घोषित किया है. कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फास्फोरस पाया जाता है, और ये वातावरण में मौजूद नमी से प्रतिक्रिया कर एसिटीलीन गैस बनाती है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में कार्बाइड गैस कहते हैं. ये गैस फलों को पकाने में एथिलीन की तरह ही काम करती है, लेकिन ‘प्रीवेंशन ऑफ फूड एडल्ट्रेशन रूल, 1955 की धारा 44AA’ के तहत कैल्शियम कार्बाइड से फलों को पकाने पर प्रतिबंध है.
कैल्शियम कार्बाइड में कैंसरकारी तत्व होते हैं, जिससे नाड़ी तंत्र प्रभावित हो सकता है, 1 और सिरदर्द, चक्कर आना, दिमागी विकार, ज्यादा नींद आना, मानसिक उलझन, याददाश्त कम होना, दिमागी सूजन और मिरगी की शिकायत हो सकती है. डॉ. सिंह के मुताबिक, यह गैस मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करती है और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है. इससे सिरदर्द, उलझन, चक्कर आना, और दीर्घकालिक असर में कैंसर जैसी बीमारियाँ तक हो सकती हैंलेकिन बाजार में प्रतिस्पर्धा और फल को जल्दी बेचने की लालसा में व्यापारी आज भी इसका उपयोग कर रहे हैं. यह खाद्य उपभोक्ताओं के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
ये सब हमारे शरीर को सेहतमंद रखने के लिए बेहद ज़रूरी है. पुराने ज़माने में तो लोग फल-फूल खाकर ही ज़िंदगी बिता देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. वक्त के साथ-साथ इंसानों की ज़िंदगी बदली और फलों का स्वाद और गुण भी.
ये तो रही नुकसान की बात, अब फल खरीदते समय ग्राहक कौन सी सावधानी बरतें ये भी जान लें. बहुत चमकदार आम के फल को खरीदने से बचें, क्योंकि यह इसी तरह के रसायनों से पकाया जाता है. कार्बाइड से पकाये गये फलों का भार एक समान नहीं होता है. इसमें पके फलों का रंग भी एक समान नहीं होता है. फल का स्वाद किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा होता है. केमिकल से पके हुए फल एक दो दिन में ही काले पड़ने लगते हैं.
डॉ. सिंह ने उपभोक्ताओं से अपील की कि वे ऐसे फलों को खरीदने से बचें जो असामान्य रूप से चमकदार या अत्यधिक सख्त दिखते हैं, क्योंकि ये अक्सर कृत्रिम रूप से पकाए जाते हैं. साथ ही प्रशासन से अनुरोध किया कि फल मंडियों और गोदामों में नियमित निगरानी कर अवैध रसायनों के उपयोग पर रोक लगाई जाए.फल पोषण का अहम स्रोत हैं, लेकिन अहम वे ही बीमारी का कारण बनें तो यह अत्यंत चिंताजनक है. ऐसे में वैज्ञानिक विधियों को अपनाना समय की माँग है. डॉ. सिंह ने कहा, “हमें चाहिए कि हम पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समावेश करते हुए फलों को प्राकृतिक रूप से पकाएं. तभी हम स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित आहार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
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