इस साल मॉनसूनी बारिश अच्छी होने के चलते किसानों ने खरीफ और रबी सीजन में फसलों की जमकर बुवाई की है. इसके चलते देश के कृषि क्षेत्र में मजबूत सुधार के संकेत दिख रहे हैं. एक्सपर्ट्स ने कृषि क्षेत्र में करीब 4 फीसदी के उछाल का अनुमान जताया है. जबकि, 2025 में अनाज उत्पादन में नया रिकॉर्ड दर्ज होने के संकेत दिए गए हैं. हालांकि, मार्च 2025 में ही हीटवेव के संकेतों से किसानों की चुनौतियां बढ़ सकती हैं.
भारत के कृषि क्षेत्र में उछाल आने का अनुमान है. कहा गया है कि 2024-25 के दौरान इसमें 4 फीसदी बढ़ोत्तरी के अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 1.4 फीसदी था. कृषि अर्थशास्त्री एस महेंद्र देव इस सुधार का श्रेय अच्छे मानसून और ग्रामीण मांग में बढ़त को देते हैं. जून 2025 में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ (ग्रीष्म) खाद्यान्न का उत्पादन रिकॉर्ड 1647 लाख टन होने का अनुमान है. इस बीच रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई में लगातार प्रगति हुई है. दिसंबर 2024 के मध्य तक 293.1 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है. अन्य फसलों की 558.8 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई है.
कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि सामान्य बारिश के चलते खरीफ की फसल अच्छी रही. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर पूरे वर्ष के लिए फसल की संभावना आशाजनक दिख रही है. हालांकि, उन्होंने फरवरी-मार्च में संभावित हीटवेव के प्रति भी आगाह किया है, जो गेहूं की फसल को प्रभावित कर सकता है. उल्लेखनीय रूप से यह बढ़ोत्तरी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में फसलों को प्रभावित करने वाली स्थानीय बाढ़ और सूखे के बावजूद हुई है. जलवायु परिवर्तन से प्रेरित मौसम संबंधी विसंगतियों ने विशेष रूप से कुछ क्षेत्रों में प्याज और टमाटर की पैदावार पर असर डाला है.
दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता की लगातार चुनौती का समाधान करने के लिए सरकार 2025 में खाद्य तेल तिलहन पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमईओ- तिलहन) शुरू करेगी. इसके लिए 10,103 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. इस पहल से आयात निर्भरता को कम करना है. बागवानी क्षेत्र ने भी उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है, जिसमें फलों और सब्जियों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. यह सफलता विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत बेहतर कृषि तकनीक अपनाने से मिली है.
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