केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट को रिवाइज किया है. इसके तहत अब स्टॉक लिमिट को 31 मार्च 2026 तक लागू कर दिया गया है. साथ ही गेहूं की स्टॉक लिमिट को पहले से कम कर दिया गया है. बाजार में गेहूं की किसी तरह की कमी न हो और त्योहारी सीजन में आम लोगों को गेहूं की महंगाई से नहीं जूझना पड़े, इसके लिए सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है. इस बीच खाद्य मामलों के विभाग ने कहा है कि देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है, इसलिए किसी तरह की चिंता वाली कोई बात नहीं है. स्टॉक लिमिट का यह ऑर्डर व्यापारियों, होलसेलर, रिटेलर, प्रोसेसर और बिजनेस चेन के लिए है जो अपनी जरूरतों के लिए गेहूं खरीदते हैं और स्टॉक करते हैं. यही वजह है कि सरकार ने इनके लिए स्टॉक की लिमिट तय की है.
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है, खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और जमाखोरी को रोकने के लिए, भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी खुदरा चेन वाले खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसर्स पर लागू गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू की है. इन खाद्य पदार्थों पर 'रिमूवल ऑफ लाइसेंसिंग रिक्वायरमेंट, स्टॉक लिमिट्स एंड मूवमेंट रिस्ट्रिक्शन्स ऑन स्पेसीफाइड फूडस्टफ (अमेंटमेंट) ऑर्डर 2025' 27 मई 2025 को जारी किया गया था और यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू था.
आगामी त्योहारी सीजन से पहले गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के निरंतर प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक लागू गेहूं स्टॉक सीमा को संशोधित करने का निर्णय लिया है.
स्टॉक लिमिट घटने से जहां व्यापारियों के सामने मुश्किलें पैदा होंगी, वहीं आम लोगों को महंगाई से राहत मिल सकती है. सरकार के इस फैसले से व्यापारी वर्ग को गेहूं की स्टॉक लिमिट एक दायरे में ही रखनी होगी. इससे आम जनता को ये लाभ होगा कि गेहूं की जमाखोरी और कालाबाजारी रुकेगी. इससे बाजार में गेहूं की सप्लाई दुरुस्त होगी जिससे दाम को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. आगे त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है जिसमें गेहूं और उसके प्रोडक्ट की भारी मांग होती है. यही वजह है कि सरकार ने स्टॉक लिमिट का नियम टाइट कर दिया है ताकि बाजार में किसी तरह की कृत्रिम कमी पैदा न हो और गेहूं और उसके उत्पादों के दाम न बढ़े.
सरकार के नए दिशा निर्देश के मुताबिक, व्यापारी या होलसेलर अभी तक 3000 मीट्रिक टन गेहूं स्टॉक रख सकते थे, लेकिन उसे घटाकर 2000 मीट्रिक टन कर दिया गया है. रिटेलर्स के लिए पहले हर रिटेल आउटलेट में अधिकतम 10 मीट्रिक टन गेहूं रखने की अनुमति थी जिसे घटाकर 8 मीट्रिक टन कर दिया गया है. इसी तरह प्रत्येक रिटेल आउटलेट के लिए 10 मीट्रिक टन तक रखने की अनुमति थी जिसे घटाकर 8 मीट्रिक टन कर दिया गया है. प्रोसेसर के लिए कहा गया है कि पहले वे महीने में प्रोसेस किए जा सकने वाले कुल गेहूं स्टॉक का 70 परसेंट हिस्सा रख सकते थे जिसे घटाकर 60 परसेंट कर दिया गया है.
सरकारी आदेश में कहा गया है, सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं स्टॉक पोर्टल पर अपनी स्टॉक स्थिति घोषित/अपडेट करनी होगी. यदि कोई संस्था पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई जाती है या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
यदि उपरोक्त संस्थाओं के पास स्टॉक उपरोक्त निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसे निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा. केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं को लागू कराने पर कड़ी निगरानी रखेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई कृत्रिम कमी न पैदा हो.
सरकार ने प्रेस नोट में कहा है, फसल वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 1175.07 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन दर्ज किया गया और देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है. केंद्र सरकार ने राज्य एजेंसियों/एफसीआई के माध्यम से आरएमएस 2025-26 में 300.35 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), ओडब्ल्यूएस और अन्य बाजार हस्तक्षेपों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, देश में कीमतों को नियंत्रित करने और आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स्टॉक की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.
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