Agri Quiz: किस अनाज की किस्म है 'वल-376', इसकी 5 उन्नत वैरायटी के बारे में जानें

Agri Quiz: किस अनाज की किस्म है 'वल-376', इसकी 5 उन्नत वैरायटी के बारे में जानें

भारत में अलग-अलग फसलें अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने अनोखे गुणों के लिए तो कई अपने स्वाद और खास पहचान के लिए जानी जाती हैं. ऐसी है एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम वल-376 है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

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Agri Quiz: किस अनाज की किस्म है 'वल-376', इसकी 5 उन्नत वैरायटी के बारे में जानेंअनाज की किस्म

भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा पूरा देश है. भारत में अलग-अलग फसलें अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने अनोखे गुणों के लिए तो कई अपने स्वाद और खास पहचान के लिए जानी जाती हैं. ऐसी है एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम है वल-376. दरअसल, ये वैरायटी रागी की एक खास किस्म है. रागी को फिंगर मिलेट या मड़ुआ के नाम से भी जाना जाता है. यह एक पौष्टिक अनाज है, जिसकी खेती दुनिया के कई देशों में की जाती है.

रागी आवश्यक पोषक तत्वों का भंडार है, जो पाचन में सहायता करता है और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. वहीं रागी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को देखते हुए इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी 5 उन्नत वैरायटी के बारे में.

रागी की 5 उन्नत वैरायटी

वल-376: ये रागी की अधिक उपज देने वाली किस्म है. इसकी फसल रोपाई के 95 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसतन पैदावार 9-10 क्विंटल प्रति एकड़ है. वहीं ये किस्म भुरड़ रोग प्रतिरोधक होती है. इस रोग में फसल का उपरी हिस्सा मुड़ जाता है, इसीलिए इसे भुरड़ रोग कहते हैं. बात करें इसकी खेती की तो बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में इस किस्म की खेती अधिक मात्रा में की जाती है.

इंडाफ (Indaf-15): इंडाफ 15 भारत में उगाई जाने वाली रागी की एक लोकप्रिय किस्म है, जिसे भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह फसल अपनी उच्च क्वालिटी के अनाज और उपज के लिए जानी जाती है. साथ ही ये किस्म रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है.

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पंत रागी-3 (विक्रम): भारत के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए यह 95-100 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है. इसके पौधे की ऊंचाई 80-85 से.मी. होती है. यह किस्म ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी है. इसकी बालियां मुड़ी हुई और दाने हल्के भूरे रंग के होते हैं. यह किस्म गेहूं फसल चक्र के लिए भी उपयुक्त है.

ओखले-1: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित, ओखले-1 उच्च उपज देने वाली किस्म है, जिसमें खाना पकाने की गुणवत्ता अच्छी है और यह ब्लास्ट रोग के लिए प्रतिरोधी है. यह भारत के दक्कन के पठारी क्षेत्र के लिए विशेष रूप से अनुकूल है.

वीएल-379: रागी की वीएल-379 किस्म को भारत में ज्यादातर जगहों पर खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है. ये रागी की अधिक उपज देने वाली किस्म है. इसकी फसल रोपाई के 100 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. वहीं ये किस्म ब्लास्ट रोग प्रतिरोधक होती है.

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