पंजाब में प्रदूषण रोकने की बड़ी तैयारी, पराली निगरानी के लिए 22 वैज्ञानिक तैनात

पंजाब में प्रदूषण रोकने की बड़ी तैयारी, पराली निगरानी के लिए 22 वैज्ञानिक तैनात

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए CPCB ने 22 वैज्ञानिकों की टीम तैनात की है. ये टीम खेतों का निरीक्षण कर प्रदूषण पर नजर रखेगी और रिपोर्ट तैयार करेगी.

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पंजाब में प्रदूषण रोकने की बड़ी तैयारी, पराली निगरानी के लिए 22 वैज्ञानिक तैनातपराली जलाने के लिए वैज्ञानिक तैनात

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए 22 वैज्ञानिकों की विशेष टीम भेजी है. यह फैसला पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB), एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) और कृषि विभाग के साथ एक समीक्षा बैठक के बाद लिया गया है.

अक्टूबर से नवंबर तक का समय सबसे अहम

अधिकारियों के अनुसार, 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक का समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रहेगा. इस दौरान धान की कटाई जोरों पर होगी और पराली जलाने की घटनाओं में भी इजाफा होने की संभावना है. 30 सितंबर तक ही पंजाब में 95 पराली जलाने के मामले सामने आ चुके हैं.

वैज्ञानिक करेंगे औचक निरीक्षण और सर्वे

यह टीम खेतों का औचक निरीक्षण करेगी, PPCB, पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (PRSC) और कृषि विभाग के साथ मिलकर काम करेगी. साथ ही यह टीम यह भी आकलन करेगी कि पराली जलाने से क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता पर कितना असर पड़ रहा है.

अक्टूबर के मध्य में हवा की स्थिति बनी चुनौती

अक्टूबर के मध्य में अक्सर हवा की गति धीमी होती है, जिससे धुआं और धूल वातावरण में फंस जाते हैं. इससे हवा की गुणवत्ता और खराब हो जाती है. यही कारण है कि इस समय विशेष सतर्कता बरती जा रही है.

663 हॉटस्पॉट गांव चिन्हित

पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों के आधार पर पंजाब सरकार ने 8 जिलों में 663 गांवों को पराली जलाने के हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना है. ये जिले हैं - संगरूर, फिरोजपुर, बठिंडा, मोगा, बरनाला, मानसा, तरनतारण और फरीदकोट. वर्ष 2024 में इन जिलों में कुल 10,909 में से 6,815 घटनाएं हुईं, यानी लगभग दो-तिहाई मामले इन्हीं जिलों से थे.

पराली सुरक्षा बल का गठन

पराली पर रोक लगाने के लिए पंजाब सरकार ने करीब 8,000 लोगों की एक "पराली सुरक्षा बल" बनाई है. इसमें 5,000 नोडल अधिकारी, 1,500 क्लस्टर कोऑर्डिनेटर और 1,200 फील्ड अधिकारी शामिल हैं. ये टीम 11,624 गांवों में सक्रिय है और पराली जलाने की घटनाओं की पुष्टि करके PPCB और PRSC द्वारा बनाए गए एटीआर (Action Taken Report) ऐप पर रिपोर्ट दर्ज करती है.

अमृतसर और मालवा क्षेत्र पर विशेष नजर

PPCB के एक विशेषज्ञ के अनुसार, अमृतसर में आलू और सब्जियों की जल्दी बुवाई के कारण पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं. आने वाले दिनों में मालवा क्षेत्र में धान की फसल पकने के बाद पराली जलाने के मामले और बढ़ सकते हैं.

पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है. वैज्ञानिकों की टीम, तकनीकी सहायता और प्रशासन की सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी. आम किसानों को भी इस मुहिम में भागीदार बनना होगा ताकि हम सभी मिलकर एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बना सकें.

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