भारत में कई दशकों से जारी किसानों की आत्महत्या का सिलसिला जारी है. हर साल हजारों किसान खेती में नुकसान उठाकर और कर्ज के जाल में फंसकर अपनी जान दे देते हैं. कई राज्यों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस बीच, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें साल 2023 में किसानों की आत्महत्या से जुड़े आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2023 में खेती से जुड़े 10,786 लोगों ने आत्महत्या की. इनमें 4,690 किसान या खेती करने वाले और 6,096 कृषि मजदूर शामिल हैं. यह कुल आत्महत्याओं का 6.3 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में बताया गया कि इनमें से 38.5 प्रतिशत आत्महत्याए महाराष्ट्र में हुईं, जबकि कर्नाटक में 22.5 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 8.6 प्रतिशत आत्महत्याएं दर्ज की गईं. मध्य प्रदेश में 7.2 प्रतिशत और तमिलनाडु में 5.9 प्रतिशत किसान आत्महत्या के शिकार हुए. वहीं, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली और लक्षद्वीप में किसानों या कृषि मजदूरों की कोई आत्महत्या रिपोर्ट नहीं हुई.
एनसीआरबी ने आत्महत्या करने वालों की आर्थिक स्थिति पर भी प्रकाश डाला. रिपोर्ट के अनुसार, कुल आत्महत्या करने वालों में 66.2 प्रतिशत (1,13,416) की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम थी. वहीं 28.3 प्रतिशत (48,432) लोग 1 लाख से 5 लाख रुपये वार्षिक आय वाले थे. जेंडर के आधार पर आत्महत्या की स्थिति देखी जाए तो 4,690 किसानों या खेती करने वालों में 4,553 पुरुष और 137 महिलाएं थीं. 6,096 कृषि मजदूरों में 5,433 पुरुष और 663 महिलाएं शामिल हैं.
वहीं, शिक्षा के हिसाब से देखा जाए तो अधिकतर आत्महत्या करने वाले मैट्रिक/सैकेंडरी स्तर तक पढ़े हुए थे, जिनकी संख्या 42,238 (24.6 प्रतिशत) थी. मध्य शिक्षा प्राप्त लोग 31,834 (18.6 प्रतिशत), उच्चतर माध्यमिक/इंटरमीडिएट/पूर्व विश्वविद्यालय स्तर के 29,920 (17.5 प्रतिशत), प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त 25,303 (14.8 प्रतिशत) और अशिक्षित 20,149 (11.8 प्रतिशत) थे. कुल आत्महत्या करने वालों में केवल 5.5 प्रतिशत (9,353) स्नातक और उससे ऊपर शिक्षित थे.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि बेरोजगारों में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले केरल में 15.4 प्रतिशत (2,191), महाराष्ट्र में 14.5 प्रतिशत (2,070), तमिलनाडु में 11.2 प्रतिशत (1,601) और उत्तर प्रदेश में 9.1 प्रतिशत (1,295) दर्ज किए गए. व्यापार से जुड़े लोगों में सबसे अधिक आत्महत्या महाराष्ट्र (16 प्रतिशत), कर्नाटक (14.1 प्रतिशत), तमिलनाडु (8.9 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (8 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (6.8 प्रतिशत) में हुई. (पीटीआई)
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