
रबी सीजन यानी सर्दियों का मौसम किसानों के लिए बेहद अहम होता है. गेहूं, चना, सरसों, मटर, मसूर और जौ जैसी प्रमुख फसलों की बुआई इसी समय की जाती है. लेकिन ठंड, नमी और मिट्टी में मौजूद रोगजनक बीज और उभरते पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में सीड ट्रीटमेंट यानी बीज उपचार फसल की अच्छी शुरुआत और बेहतर पैदावार के लिए बेहद जरूरी हो जाता है. सर्दियों के मौसम में सीड ट्रीटमेंट करना एक छोटी लेकिन बेहद असरदार तकनीक है. यह फसल को मजबूत शुरुआत देता है, रोग और कीटों से बचाता है और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है. अगर किसान बुआई से पहले बीज उपचार को अपनाएं, तो रबी सीजन में बेहतर और सुरक्षित पैदावार सुनिश्चित की जा सकती है.
सीड ट्रीटमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बुआई से पहले बीजों को फफूंदनाशक, कीटनाशक, ऑर्गेनिक एजेंट या पोषक तत्वों से उपचारित किया जाता है. इसका उद्देश्य बीज और शुरुआती पौधों को मिट्टी व बीज जनित रोगों, कीटों और प्रतिकूल मौसम से बचाना होता है. सर्दियों के मौसम में तापमान कम होने के कारण बीजों का अंकुरण धीमा हो जाता है. इस दौरान मिट्टी में नमी अधिक रहती है, जिससे फफूंद और बैक्टीरिया पनपने की संभावना बढ़ जाती है. बिना उपचारित बीजों में सीड रॉट, डैम्पिंग ऑफ, रूट रॉट और स्मट जैसी बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं. सीड ट्रीटमेंट इन खतरों से शुरुआती स्तर पर ही सुरक्षा प्रदान करता है.
उपचारित बीजों से अंकुरण समान और तेज होता है. इससे पौधे मजबूत बनते हैं और उनकी जड़ें बेहतर तरीके से विकसित होती हैं. मजबूत जड़ प्रणाली पौधों को ठंड, नमी की कमी और पोषक तत्वों के अभाव से लड़ने में मदद करती है. नतीजतन फसल की बढ़वार अच्छी होती है. सर्दियों में दीमक, सफेद गिडार और मिट्टी में रहने वाले कीट बीज और नवजात पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. सीड ट्रीटमेंट इन कीटों से शुरुआती 20–30 दिनों तक सुरक्षा देता है, जो फसल के जीवन का सबसे नाजुक समय होता है. रबी की लगभग सभी फसलों जैसे गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों और जौ में सीड ट्रीटमेंट करना फायदेमंद होता है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां पिछले वर्षों में रोगों या कीटों का प्रकोप रहा हो.
सीड ट्रीटमेंट करने से किसानों को बाद में बार-बार कीटनाशक और फफूंदनाशक के छिड़काव की जरूरत कम पड़ती है. इससे उत्पादन लागत घटती है और पर्यावरण पर रसायनों का दुष्प्रभाव भी कम होता है. कम लागत में अधिक उपज मिलना सीड ट्रीटमेंट का सबसे बड़ा फायदा है. आजकल ट्राइकोडर्मा, पीएसबी, राइजोबियम और एजोस्पिरिलम जैसे जैविक उपचारों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. ये न सिर्फ रोगों से बचाव करते हैं बल्कि मिट्टी की उर्वरता और फसल की पोषण क्षमता भी बढ़ाते हैं. जैविक खेती अपनाने वाले किसानों के लिए यह एक प्रभावी विकल्प है.
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