यूर‍िया के आयात में आई भारी कमी, आत्मन‍िर्भरता के 'आउटर' पर खड़ा है भारत..आख‍िर कैसे बदली तस्वीर? 

यूर‍िया के आयात में आई भारी कमी, आत्मन‍िर्भरता के 'आउटर' पर खड़ा है भारत..आख‍िर कैसे बदली तस्वीर? 

Urea Import: सरकार का ऐसा अनुमान है क‍ि नैनो यूरिया के बढ़ते इस्तेमाल से सामान्य यूर‍िया की आयात निर्भरता खत्म हो जाएगी. साथ में प्राकृत‍िक और जैव‍िक खेती के व‍िस्तार से भी सामान्य यूर‍िया की मांग में कमी आएगी और हमें दूसरे देशों से उसे मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जान‍िए भारत यूर‍िया के आयात के लिए क‍िन देशों पर है न‍िर्भर और कैसे कम हुई है न‍िर्भरता. 

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यूर‍िया के आयात में आई भारी कमी, आत्मन‍िर्भरता के 'आउटर' पर खड़ा है भारत..आख‍िर कैसे बदली तस्वीर? यूरिया का घरेलू उत्पादन बढ़ा.

भारत में सबसे ज्यादा खपत वाले रासायन‍िक उर्वरक यूर‍िया का आयात लगातार कम हो रहा है. अब यूर‍िया की मांग और घरेलू उत्पादन में स‍िर्फ 42 लाख मीट्र‍िक टन का गैप रह गया है. वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में 356.08 लाख मीट्र‍िक टन यूर‍िया की खपत हुई, ज‍िसमें से 314.07 लाख टन भारत की अपनी यून‍िटों में बना था. एक तरह से अब यूर‍िया की आत्मन‍िर्भरता के मामले में भारत आउटर पर खड़ा है. बढ़ते उत्पादन की रफ्तार से ही ही भारत में यूर‍िया की मांग भी बढ़ रही है, वरना इस मामले में आत्मन‍िर्भरता जल्दी म‍िल जाती. अप्रैल 2024 में तत्कालीन रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने दावा क‍िया था क‍ि 2025 के अंत तक यूरिया पर देश की आयात निर्भरता खत्म हो जाएगी. अब यह बात सच होती नजर आ रही है.

सरकार का ऐसा अनुमान है क‍ि नैनो यूरिया के बढ़ते इस्तेमाल से सामान्य यूर‍िया की आयात निर्भरता खत्म हो जाएगी. साथ में प्राकृत‍िक और जैव‍िक खेती के व‍िस्तार से भी यूर‍िया की मांग में कमी आएगी और हमें दूसरे देशों से उसे मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. भारत ने अपनी नीत‍ियों कारण बहुत तेजी से नए यूर‍िया प्लांट बनाए हैं, ज‍िसकी वजह से खपत और घरेलू उत्पादन के बीच का अंतर बहुत कम रह गया है, ज‍िससे आयात बहुत तेजी से घटा है. लेक‍िन आयात पर बात करने से पहले हम यह जानते हैं क‍ि क‍िन यून‍िटों के बनने से हमारा घरेलू यूर‍िया उत्पादन बढ़ा है.  

कैसे बढ़ा उत्पादन 

रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया है क‍ि आख‍िर भारत कैसे यूर‍िया की मांग खुद पूरा करने के पास पहुंच गया है. लोकसभा में एक ल‍िख‍ित जवाब में उन्होंने कहा क‍ि यूरिया के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 2 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति (NIP)-2012 और 7 अक्टूबर, 2014 को इसके संशोधन की घोषणा की गई थी. एनआईपी 2012 के तहत कुल 6 नई यूरिया यून‍िटें बनाई गईं, ज‍िससे बड़ा पर‍िवर्तन आया.  

इनमें रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (RFCL) की रामागुंडम (तेलंगाना) यून‍िट, हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), सिंदरी (झारखंड) और बरौनी (बिहार) यून‍िट, मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की पानागढ़ (पश्चिम बंगाल) यून‍िट और चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (CFCL) की गड़ेपान-।।। ( राजस्थान) यून‍िट शाम‍िल हैं. 

क‍ितनी बढ़ी क्षमता 

इन सभी यून‍िटों की क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष (LMTPA) है. कुल म‍िलाकर इन यून‍िटों की वजह से 76.2 एलएमटीपीए की बढ़ोत्तरी हुई. जिससे वर्ष 2014-15 के दौरान भारत की जो यूर‍िया उत्पादन क्षमता 207.54 एलएमटीपीए थी, वो बढ़कर 283.74 एलएमटीपीए हो गई. 

सरकार ने स्वदेशी यूरिया उत्पादन और बढ़ाने के मकसद से मौजूदा 25 गैस-आधारित यूर‍िया यून‍िटों के लिए 25 मई, 2015 को नई यूरिया नीति-2015 को नोट‍िफाइड क‍िया. ज‍िससे 2014-15 के दौरान हुए सालाना उत्पादन की तुलना में 20-25 एलएमटीपीए का अतिरिक्त उत्पादन हुआ. इस वजह से 2024 के अंत तक हमारा घरेलू यूर‍िया उत्पादन 314.07 लाख मीट्र‍िक टन पहुंच गया.  

यूर‍िया की आंकड़ेबाजी 

  • प‍िछले पांच साल में जहां यूर‍िया की मांग 20.82 लाख टन मांग बढ़ गई है, वहीं घरेलू उत्पादन बढ़ने की वजह से इसका आयात 20.81 लाख मीट्र‍िक टन कम हो गया है. हम सबसे ज्यादा यूर‍िया ओमान, चीन और रूस से आयात कर रहे हैं.
  • यूर‍िया का आयात साल 2019-2020 में 91.23 लाख मीट्र‍िक टन था जो अब घटकर 2023-24 में 70.42 लाख मीट्र‍िक टन रह गया है. लेक‍िन द‍िलचस्प बात यह है क‍ि आयात घटने के बावजूद उसका ब‍िल यानी उस पर क‍िया जाने वाला खर्च काफी बढ़ गया.
  • केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार साल 2019-2020 में यूर‍िया आयात पर 14,049 करोड़ रुपये खर्च क‍िए गए थे, जो 2023-24 में आयात घटने के बावजूद डबल होकर 28,193.94 करोड़ रुपये हो गया. क्योंक‍ि, सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके ल‍िए ज्यादा खर्च करना पड़ा. 

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