मटर की नई वैरायटी वीएल माधुरीभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत आने वाले विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (VPKAS), अल्मोड़ा ने एक ऐसी अनोखी मटर किस्म विकसित की है जिसे बिना छीले सीधे खाया जा सकता है. इस नई किस्म का नाम रखा गया है — ‘वी.एल. माधुरी (VL Madhuri)’. मटर को छील कर खाना थोड़ा झंझट का काम लगता है, मगर यह किस्म इस झंझट से मुक्त है.
यह किस्म न केवल स्वादिष्ट है बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर भी है. इसे देश की पहली "खाद्य फलियों वाली" मटर (edible pod pea) माना जा रहा है. यानी इसके दाने तो खाने लायक हैं ही, हरी फली को भी खा सकते हैं. मटर का दाना निकालने के बाद छिलके को फेंक दिया जाता है या मवेशियों को चारे के रूप में दे दिया जाता है. इस मटर में ऐसा नहीं होगा. आप पूरी मटर को खा सकते हैं.
‘वी.एल. माधुरी’ किस्म को रबी मौसम के लिए उपयुक्त पाया गया है और साल 2024 में राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचित (notified) किया गया है. यह किस्म मुख्य रूप से जोन IV — पंजाब, उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र, बिहार और झारखंड के लिए सिफारिश (अनुशंसित) की गई है.
कृषि संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म विटामिन A, कॉपर (Cu), और जिंक (Zn) जैसे तत्वों से भरपूर है. पिछले साल संस्थान ने कुल 14 मटर किस्में विकसित की थीं, जिनमें से ‘वी.एल. त्रिफोशी (VL Triphoshi)’ प्रमुख थी. लेकिन ‘वी.एल. माधुरी’ को इस वजह से खास माना जा रहा है क्योंकि यह दो पोषक तत्वों कॉपर और जिंक का अनूठा मेल लेकर आई है, जो देश में पहली बार हुआ है.
इस नई किस्म से न केवल किसानों को अच्छी उपज और बाजार मूल्य मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी स्वाद और पोषण का बेहतर विकल्प हासिल होगा. विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का नारा है-“खेत से थाली तक नवाचार का संदेश” — यह किस्म उसी दिशा में एक कदम है.
कृषि वैज्ञानिकों और जानकारों का कहना है कि ‘वी.एल. माधुरी’ मटर किस्म भारत के कृषि इनोवेशन में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है. यह न सिर्फ पर्वतीय इलाकों के किसानों के लिए वरदान है, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति सजग उपभोक्ताओं के लिए भी एक नई उम्मीद है.
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