अब ऐप से होगी यूरिया की बुकिंगतेलंगाना में यूरिया जैसी खाद की किल्लत दूर होने वाली है. किसानों को खाद की कमी और धक्का-मुक्की से बचाने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल की है. सरकारों ने किसानों के लिए यूरिया मोबाइल ऐप लॉन्च किया है जिसके मार्फत किसान आसानी से खाद ले सकेंगे. हालांकि यह अभियान अभी पायलट मोड में है, लेकिन इसकी रिजल्ट बहुत अच्छे मिल रहे हैं. इसे देखते हुए सरकार प्रदेश के सभी जिलों में इसे लागू कर सकती है.
तेलंगाना कृषि विभाग की ओर से लॉन्च किया गया यह मोबाइल ऐप अभी तक किसानों के बीच काफी सफल रहा है. इसके एक्सपेरिमेंटल फेज के दौरान पांच जिलों में इस प्लेटफॉर्म के ज़रिए 60,500 से अधिक यूरिया के बैग खरीदे गए. सरकारी डेटा से पता चलता है कि ऐप तेजी से पॉपुलर हुआ है, पिछले दो दिनों में ही एक लाख से ज्यादा डाउनलोड हुए हैं.
कुल 19,695 किसानों ने इस डिजिटल टूल का इस्तेमाल करके अपने नजदीकी डीलरों से 60,510 बैग खरीदे. पायलट जिलों में भागीदारी का ब्रेकडाउन इस प्रकार है: आदिलाबाद (897 किसान), जनगांव (5,150), महबूबनगर (3,741), नलगोंडा (3,618), और पेद्दापल्ली (6,289).
खास बात यह है कि इस पहल ने 217 बटाईदार किसानों को भी सपोर्ट किया, जिन्होंने सिस्टम के जरिए 678 बैग बुक किए. अधिकारियों ने पुष्टि की कि पहले दिन सामने आई छोटी-मोटी तकनीकी दिक्कतों को तुरंत ठीक कर दिया गया ताकि किसान को बिना किसी परेशानी के खाद मिल सके.
हालांकि यूरिया की जरूरत वाले किसानों के लिए ऐप का इस्तेमाल जरूरी कर दिया गया है, और विपक्षी पार्टियों ने इसकी आलोचना की है और कहा है कि इससे दिक्कतें होंगी, लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य मकसद यूरिया की उपलब्धता को लेकर किसानों के बीच घबराहट को खत्म करना है.
कृषि आयुक्त बी. गोपी ने कहा, "बुक किए गए बैग पूरे दिन के लिए रिजर्व रहते हैं, और बुकिंग 24 घंटे के लिए वैलिड होती है. अगर कोई किसान उस समय के अंदर चुने हुए स्टोर पर नहीं पहुंच पाता है, तो उसे नई बुकिंग करनी होगी."
उन्होंने बताया कि यह सिस्टम दिखाता है कि किसी खास स्टोर पर कितने बैग उपलब्ध हैं. जैसे-जैसे किसान अपनी जरूरत के हिसाब से बुकिंग करेंगे, वे नंबर उपलब्ध संख्या में से घटा दिए जाएंगे. जिन बैगों का दावा नहीं किया जाएगा, उन्हें वापस उपलब्ध स्टॉक में जोड़ दिया जाएगा.
इस बार, ऐप ने यह बताना जरूरी कर दिया है कि किसान कौन सी फसल उगाना चाहता है, और उसी के हिसाब से उसे कितनी यूरिया मिलेगी, यह तय किया जाएगा. इसमें दो डेटा पॉइंट हैं - पहला जमीन का रकबा, दूसरा उगाई जाने वाली फसल. उदाहरण के लिए, धान के हर एकड़ के लिए 2.5 बोरी, मक्का के लिए 3.5 बोरी प्रति एकड़ और मिर्च के लिए पांच बोरी यूरिया की जरूरत होती है.
इसका मकसद किसानों को यह भरोसा दिलाना है कि उन्हें जरूरत के समय उतना यूरिया मिलेगी, जितनी उन्हें चाहिए, और उन्हें घबराने या दुकानों पर लंबी कतारों में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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