देश के कई राज्यों के मौसम में अचानक से बदलाव देखने को मिल रहा है. बीते कुछ दिनों से कहीं शीतलहर तो कहीं हल्की से मध्यम बारिश का दौर जारी है, जिसकी वजह से किसानों से लेकर पशुपालक सभी चिंतित हैं. दरअसल, जनवरी के महीने में किसानों को कुछ खेती-किसानी से जुड़े काम करने चाहिए. इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इस सप्ताह किसान और पशुपालक क्या करें, उसकी जानकारी दी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान अनुसार, बिहार में 08-14 जनवरी के बीच आसमान में हल्के बादल रह सकते हैं. वहीं, अगले 2 दिन सुबह के समय घना कोहरा रह सकता है.
साथ ही अगले 2 दिनों में तापमान में 2-4 डिग्री की कमी होने का अनुमान है. ऐसे में अधिकतम तापमान 23-24 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10-12 डिग्री रहने की संभावना है. वहीं, इस बीच पछिया हवा 05-07 किमी/घंटा चल सकती है. ऐसे में रबी की प्रमुख फसलों जैसे, गाजर, मटर, टमाटर, धनिया, लहसुन और अन्य फसलों में झुलसा रोग लगने का खतरा बढ़ सकता है. इस रोग के लगने से फसल सड़ने लगता है जिससे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में रबी फसलों में लगने वाले झुलसा रोग से बचाव के लिए 2.5 ग्राम डाई-इथेन एम 45 फफूंदनाशक दवा प्रति लीटर पानी की दर से 10 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव करें.
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गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर और मेटसल्फयूरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा पशुपालकों के लिए एडवाइजरी में बताया गया है कि तापमान में कमी के कारण पशुओं के दुध उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए हरे चारे के मिश्रण के साथ 50 ग्राम नमक, 50 से 100 ग्राम खनिज मिश्रण पशुओं को खिलाएं. इसके अलावा पशुओं का टीकाकरण और मछलियों को दिन में पौष्टिक भोजन दें.
इसके अलावा फसलों को शीतलहर और ठंड से बचाने के लिए किसान शाम के समय स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें. साथ ही अगात गेहूं की फसल में सिंचाई के बाद 30 किलो नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग करें. वहीं, रबी मक्का में 50 किलो नाइट्रोजन उर्वरक का छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा आलू की फसल पर मिट्टी चढ़ाएं और रबी प्याज की रोपाई करें. रबी फसलों की सब्जियों जैसे, मटर, टमाटर, बैंगन, मिर्च में फली छेदक कीट के लिए कीटनाशक का उपयोग करें क्योंकि इस मौसम में सब्जी वाले फसलों में कीट लगने का खतरा बना रहता है.
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