शहरों में घर में गार्डनिंग का चलन पुराना है, लोग शौकिया तौर पर गमलों में फल, फूल पौधे उगाते तो हैं, लेकिन खाद के इस्तेमाल को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं. पौधे हरे-भरे रहें इसके लिए सही पोषण वाली खाद का इस्तेमाल जरूरी है. खाद के इस्तेमाल करने में सावधानी बरतना भी जरूरी है, क्याेंकि अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से मिट्टी क्षारीय हो जाती है, जिससे पौधों को नुकसान पहुंचता है. धीरे-धीरे पौधे सूखकर मर जाते हैं.
ऐसे में आज हम आपको पौधों में पशुओं आहार के रूप में दी जाने वाली खली को खाद की तरह इस्तेमाल करने की जानकारी देने जा रहे हैं. यह पौधों को काफी फायदा पहुंचाती है. पशुआहार- ‘खली’ पौधों में पोषक तत्वों की कमी दूर करने में सक्षम है. साथ ही फल और फूलों की क्वालिटी बढ़ाने के लिए भी रामबाण उपाय है. इससे पौधों की कई बीमारियां और कीड़े दूर रहते हैं.
आपको बता दें कि खली में मौजूद 8 से 10 प्रतिशत तेल प्राकृतिक रूप से कीटनाशक की तरह काम करते हुए कीट-पतंगो को दूर भगाता है और कई रोगों से पौधों की रक्षा करता है. खली के इस्तेमाल से पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ती है, जिससे पौधे हरे भरे रहते हैं और इनकी बढ़वार काफी तेजी से हाेती है. पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए सरसों, मूंगफली और नीम की खली का खाद की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इन्हें लिक्विड रूप में भी छिड़काव कर इस्तेमाल किया जा सकता है.
सरसों की खली पौधों की ग्रोथ के लिए बढ़िया काम करती है. पौधाें की तेज बढ़वार के लिए इसे मिट्टी में मिलाकर इसके पोषक तत्व बढ़ाए जा सकते है. फूल वाले पौधों में सरसों की खली के इस्तेमाल से उनकी क्वालिटी बढ़िया होती है और पौधों की जड़ों में फफूंद लगने का खतरा टल जाता है. 15 से 20 दिन के अंतराल में इसके इस्तेमाल से पौधों में फूल और फल जल्दी लगते हैं.
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मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन में 100 ग्राम सरसों की खली डालकर इसमें 1 लीटर पानी मिलाकर 2 से 3 दिन के लिए छोड़ दें. जब खली गल जाए तो घोल में 5 लीटर पानी और मिला दें. बादे में इसे मिट्टी में डालकर खाद की तरह इस्तेमाल करें.
500 ग्राम जैविक खाद में 20 ग्राम सरसों की खली का पाउडर मिलाएं और इसका इस्तेमाल गमलों में करें.
20 से 25 ग्राम सरसों की खली का पाउडर मिट्टी में मिलाएं और गमलों में एक इंच की परत बिछाएं. यह भी पौधों की ग्रोथ बढ़ाएगा.
मूंगफली की खली में मौजूद नाइट्रोजन पौधों के विकास के लिए बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है. इससे पौधों में बीमारी का खतरा कम हो जाता है. मूंगफली की खली का इस्तेमाल जैविक खाद की तरह किया जा सकता है.
एक बर्तन में 100 ग्राम मूंगफली की खली डाल दें. अब इसमें 1 लीटर पानी मिलाकर इसे 2 से 3 दिन के लिए गलने के लिए छोड़ दें. बाद में घोल को छानकर 2 लीटर पानी और मिलाएं. फिर इस घोल का इस्तेमाल गमले में करें.
नीम की खली लगभग हर तरह के पौधे को फायदा पहुंचाती है. इससे पौधों को जरूरी पोषक तत्व तो मिलते ही हैं. साथ ही ये नेचुरल कीटनाशक भी है. इससे कीट-पतंगे दूर रहते हैं. इससे मिट्टी का खारापन कम होता है. पौधे में चीटियां और फफूंद भी नहीं लगती.
अगर आपका गमला बड़ा है तो इसमें 100 ग्राम नीम की खली का इस्तेमाल करें. वहीं गमल छोटा है तो मात्रा आधी करते हुए सिर्फ 50 ग्राम खली का इस्तेमाल करें. बाद में इस पर हल्का पानी छिड़क दें. वहीं, अगर आप इसका इस्तेमाल कीटनाशक दवा के रूप में करना चाहते हैं तो 50 ग्राम नीम की खली को 1 लीटर पानी घोलकर कुछ दिन बाद पौधों पर छिड़कें.
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