भारत में यूरिया और डी.ए.पी दो प्रमुख उर्वरक हैं जिनका बड़े पैमाने पर किसान इस्तेमाल करते हैं. देश में इफको के जरिए उर्वरक पर दी जा रही भारी सब्सिडी को बचाने के लिए दोनों प्रमुख उर्वरकों के नैनो संस्करण जारी किए गए हैं. इफको का दावा है कि पारंपरिक यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के ज्यादा फायदे हैं. इससे न सिर्फ मिट्टी की सेहत ठीक रहती है बल्कि किसानों की आय में भी इजाफा होता है. हालांकि किसान इससे सहमत नहीं हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में नैनो यूरिया की खपत बोरी वाली यूरिया के मुकाबले 10 फ़ीसदी भी नहीं है. सहकारी समितियां के द्वारा किसानों को समझने की कोशिश की जा रही है लेकिन छिड़काव में आने वाली दिक्कतों का हवाला देकर किसान नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को खरीदने से बच रहे हैं.
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का प्रयोग स्प्रे के माध्यम से करना होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी स्प्रे करने वाले ड्रोन ना के बराबर हैं. ऐसे में किसानों के सामने सबसे बड़ी मुसीबत इन दोनों तरल उर्वरक का छिड़काव करना है. स्प्रे मशीन के माध्यम से छिड़काव करना किसानों के लिए काफी खर्चीला है.
नैनो यूरिया (Nano urea) के फायदे भले ही ज्यादा हों लेकिन इसका छिड़काव करना किसानों के लिए काफी मुश्किल भरा काम है. नैनो यूरिया का फायदा तभी फसलों को अच्छा मिलता है जब ड्रोन या स्प्रे मशीन के जरिए इसका छिड़काव किया जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी ड्रोन की कमी है. वही कीटनाशक का छिड़काव करने वाले टूल के जरिए इसका छिड़काव करना भी काफी महंगा है.
किसान केशव प्रसाद ने बताया कि एक बोतल नैनो यूरिया का छिड़काव करने में उन्हें 400 से 500 रुपये का खर्च करना पड़ता है जो उनके लिए काफी ज्यादा खर्च भरा काम है. सहकारी समिति पट्टी नरेंद्रपुर के प्रभारी शैलेष ने बताया कि पिछले एक महीने में तीन बोतल नैनो यूरिया भी नहीं बिक सकी है. गांव के लोग नैनो यूरिया की बोतल खरीदने से कतरा रहे हैं. उनका साफ कहना है कि यूरिया का छिड़काव करना उनके लिए आसान है जबकि नैनो यूरिया का प्रयोग मुश्किल है.
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देश में इफको के जरिये 2021 में नैनो यूरिया को जारी किया गया. इफको का दावा है कि नैनो तरल यूरिया की 500 मिली लीटर की बोतल पारंपरिक यूरिया के 45 किलो की एक बोरी के बराबर है, जबकि नैनो डीएपी की 500 मिलीलीटर की एक बोतल 50 किलो डीएपी की एक बोरी के बराबर है.
नैनो डीएपी को अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया. देश में ज्यादातर फसलों में करीब 82 फ़ीसदी नाइट्रोजन युक्त उर्वरक के तौर पर यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है. नैनो फर्टिलाइजर से न सिर्फ यूरिया की सब्सिडी की बचत होगी बल्कि किसानों की लागत को भी यह कम करेगी. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसान बेहतर उपज और उच्च आय भी हासिल कर सकता है. मार्च 2033 तक नैनो यूरिया की 6.3 करोड़ बोतल बनाई जा चुकी है जिसके कारण 2021-22 में 70000 टन यूरिया की आयत में कमी आई है.
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