बिहार सरकार राज्य में चौथे कृषि रोडमैप के तहत बीज और फसल के उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. सरकार धान, गेहूं के अलावा दलहन, तिलहन और खासकर के मोटे अनाज के बीज में बिहार को आत्मनिर्भर बनाने का कदम उठाया है. साथ ही राज्य के किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए बाजार का नेटवर्क भी तैयार किया जाएगा. वहीं इसके तहत फसल उत्पादन को बाजार तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की जा रही है. उस तरह से चौथा कृषि रोडमैप कई मायनों में पहले से खास है. वहीं इस बार अगले पांच साल के लिए योजना को मंजूरी दी गई है. दरअसल पहले हर साल बजट की मंजूरी लेनी पड़ती थी. उसके बाद डीपीआर बनाने से योजना को लागू करने में दिक्कत आती थी. वहीं इस बार रोडमैप लागू होने के दिन से ही काम शुरू कर दिया गया है.
बीज के उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरे बिहार में 100 सीड हब बनाए जाएंगे. इसके लिए फसल की खासियत के हिसाब से जिले का चयन किया गया है. हर जिले को वहां उत्पादित होने वाली फसल के लिए सीड हब बनाने के रूप में चयनित किया जाएगा.
राज्य के किसानों को दलहन, तिलहन और मोटे अनाज के बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा क्योंकि इन फसलों के बीज की कमी है. खासकर मोटे अनाज की कई फसलों के बीज बिहार में उपलब्ध ही नहीं हैं. लेकिन, अब उनकी उपलब्धता बढ़ाई जाएगी. साथ ही धान, गेहूं की उन्नत किस्मों के बीज उत्पादन पर भी जोर दिया जाएगा.
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इस बार मोटे अनाज के उत्पादन पर राज्य सरकार जोर दे रही है. अभी पूरी दुनिया में मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष मनाया जा रहा है. इसी को देखते हुए सरकार ने चौथे कृषि रोडमैप में 20 जगहों को मोटे अनाज के कलस्टर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. इन कलस्टरों पर बीज से बाजार तक की सारी सुविधा दी जाएगी. यानी क्लस्टरों पर किसानों को बीज मिलेगा. साथ ही किसान अपना उत्पाद यहां बेच सकेंगे. व्यापारी यहां से उत्पाद खरीद सकेंगे. क्लस्टर बनाने से किसान व्यापारी और ग्राहक तीनों को फायदा होगा.
अब राज्य के कृषि फार्म को भी बीज उत्पादन का जिम्मा दिया जाएगा. पीपीपी मोड में निजी फर्म या एजेंसी यहां बीज उत्पादन कर सकेगी. इसका काफी फायदा होगा. सबसे अधिक इसका फायदा किसानों के साथ कृषि उद्यमियों को होगा. अभी राज्य के ज्यादातर कृषि फर्म का कोई उपयोग नहीं हो रहा था.
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