शाही लीची पर बौर आने के बाद ऐसे करें देखभाल, मार्च में रहता है इन कीटों का खतरा

शाही लीची पर बौर आने के बाद ऐसे करें देखभाल, मार्च में रहता है इन कीटों का खतरा

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ विशाल ने दी लीची किसानों को इनके रखरखाव और देखभाल से जुड़ी जरूरी सलाह दी है. डॉ विशाल ने मुजफ्फरपुर के शाही लीची के बागवानों/कि‍सानों से कहा है कि वे बौर में फूल आने और परागण होने तक किसी प्रकार का कोई छिड़काव नहीं करें. 

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शाही लीची पर बौर आने के बाद ऐसे करें देखभाल, मार्च में रहता है इन कीटों का खतरा मार्च में शाही लीची के बाग की देखभाल के लिए अपनाएं ये जरूरी सलाह

मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची में अब बौर (मंजर) आना शुरू हो गया है. ऐसे में बेहतर फूल और दाने को लेकर समय पर दवाओं आदि का छिड़काव करना जरूरी है. इस बीच, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ विशाल ने दी लीची किसानों को इनके रखरखाव और देखभाल से जुड़ी जरूरी सलाह दी है. डॉ विशाल ने मुजफ्फरपुर के शाही लीची के बागवानों/कि‍सानों से कहा है कि वे बौर में फूल आने और परागण होने तक किसी प्रकार का कोई छिड़काव नहीं करें. अगर कोई स्‍प्रे-दवा आदि का छिड़काव करना है उसे बौर में फूल और परागण से पहले ही निपटा लें. बाद में कोई छिड़काव न करें.

लीची पर इन कीटों का रहता है खतरा

मार्च में बौर से परागण तक लीची के बगीचों में स्टिंग बग और फ्लॉवर वेबर नामक कीटों का खतरा ज्यादा रहता हैं, ऐसे में सबसे बड़ा काम लीची के बौर को इन कीटों से बचाने का होता है. फ्लॉवर वेबर और स्टिंग बग लाल कीटों के झुंड लीची के कोमल पत्तों के साथ ही साथ डालियों और कलश को चट कर जाते हैं. इन कीटों को लेकर लीची उत्पादक किसानों के साथ वैज्ञानिक भी चिंतित हैं.

इन दवाओं का करें छिड़काव

लीची के बगीचे में कीट लगने के कारणों की पहचान कर उस पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने दवा छिड़काव करने की सलाह दी है. उन्‍होंने कहा कि जैसे अगर लीची में बौर आए हैं, लेकिन फूल आने से पहले स्टिंग बग या फ्लावर वेबर के हमले की शुरुआत हो गई है तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. 1 मि.ली. प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें

इसके अलावा डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. का 1 मि.ली. प्रति 1 लीटर पानी  या थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू. जी. 1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी,  अनुशंसित फफूंदनाशी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी या सल्फर 80 प्रतिशत घु.चू. 3 ग्राम प्रति लीटर पानी या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत घु.चू. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घु.चु. 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत एस.सी. या अनुशंसित पी.जी.आर. 4 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी या अल्फानेपथाईल एसीटिक एसीड 4.5 प्रतिशत एस.एल. का छ‍िड़काव करें.

बूंदाबांदी होने पर छिड़कें ये दवा 

उन्‍होंने कहा कि बौर आने के समय बूंदाबांदी (छिटपुट बारिश) हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव अवश्य करना चाहिए. परागण के समय मधुमक्खी की पेटी अपने बागो में रखने की कोशि‍श करें. जब भी बाग में मधुमक्खी लगने लगे तो किसी भी प्रकार का छिड़काव नहीं करें.

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