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फसलों पर बेमौसमी बारिश का असर कम कर देती है ये खाद, गेहूं को हीट से भी बचाती है 

फसलों पर बेमौसमी बारिश का असर कम कर देती है ये खाद, गेहूं को हीट से भी बचाती है 

कैल्शियम नाइट्रेट एक सामान्य खाद है जिसका इस्तेमाल पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए किया जाता है. यह एक घुलनशील खाद है जिसमें पौधों के विकास के लिए दो महत्वपूर्ण पोषक तत्व, कैल्शियम और नाइट्रोजन होते हैं. कैल्शियम पौधों की कोशिकाओं के विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है.

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फसलों को बचाने के लिए करें ये उपाय फसलों को बचाने के लिए करें ये उपाय

मौसम का रुख किसानों पर भारी पड़ रहा है. इस मौसम में हो रही बारिश से फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. गेहूं की फसल भी पीली पड़ती दिखाई दे रही है. जिससे पैदावार प्रभावित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. दूसरा, सब्जी की फसल को भी काफी नुकसान हुआ है. आलू और प्याज की फसल पर बारिश का असर ज्यादा देखा जा रहा है. इन फसलों को अत्यधिक नुकसान से बचाने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए आज हम इसपर बात करेंगे. आपको बता दें कि इन बेमौसम बारिश से फसल बरबादी को रोकने के लिए इस खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही इस खाद का इस्तेमाल गेहूं को हीट से भी बचाने का काम करती है. कौन-कौन से हैं खाद आइए जानते हैं.

पौधों को पोषक तत्व प्रदान करता है ये खाद

कैल्शियम नाइट्रेट एक सामान्य खाद है जिसका इस्तेमाल पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए किया जाता है. यह एक घुलनशील खाद है जिसमें पौधों के विकास के लिए दो महत्वपूर्ण पोषक तत्व, कैल्शियम और नाइट्रोजन होते हैं. कैल्शियम पौधों की कोशिकाओं के विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि नाइट्रोजन क्लोरोफिल का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के लिए महत्वपूर्ण है.

जब कैल्शियम नाइट्रेट को मिट्टी में या पत्ते पर स्प्रे के रूप में लगाया जाता है, तो यह पानी में घुल जाता है और पौधों की जड़ों और पत्तियों के द्वारा सोंख लिया जाता है. कैल्शियम और नाइट्रोजन को पूरे पौधे में पहुँचाया जाता है, जहां उनका उपयोग वृद्धि, विकास और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए किया जाता है. 

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पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक

कैल्शियम और नाइट्रोजन दोनों पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं. कैल्शियम नाइट्रेट इन दोनों पोषक तत्वों को आसानी से उपलब्ध रूप में प्रदान करता है. कैल्शियम पौधों की कोशिकाओं के विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, कोशिका की दीवारों को बनाने और मजबूत करने और एंजाइम गतिविधि को रेगुलेट करने में मदद करता है. नाइट्रोजन क्लोरोफिल का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो पौधों को प्रकाश संश्लेषण की अनुमति देता है और पौधों की वृद्धि और विकास के लिए भी आवश्यक है. इन आवश्यक पोषक तत्वों को प्रदान करके, कैल्शियम नाइट्रेट पौधों को बढ़ने और पनपने में मदद करता है.

गेहूं की फसल को हीट से बचाने का उपाय

यदि गेहूं की फसल को उच्च तापमान से बचाने के लिए कुछ उपाय किए जाएं तो फसल को बचाया जा सकता है और नुकसान से बचा जा सकता है. अत्यधिक गर्मी से गेहूं की फसल को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए जो उपाय अपनाए जा सकते हैं वे इस प्रकार हैं-

  • गेहूं की फसल को बढ़ते तापमान के प्रभाव से बचाने के लिए फसल पर दाना भरते समय और दाना बनते समय सिलिकिक एसिड 15 ग्राम प्रति 100 लीटर पर्ण स्प्रे का छिड़काव करना चाहिए.
  • सिलिकिक एसिड का पहला छिड़काव झंडापत्ता अवस्था में और दूसरा छिड़काव दूधिया अवस्था में करना चाहिए.
  • गेहूं की फसल में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करके भी फसल पर तापमान के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
  • गेहूं की फसल पर 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश या 0.2 प्रतिशत पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करने से भी नुकसान से बचा जा सकता है. यह छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर दो बार किया जा सकता है.
  • गेहूं की फसल में बाली आने पर 10 ग्राम एस्कॉर्बिक एसिड प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. इससे बढ़े हुए तापमान का असर फसल पर नहीं पड़ता है.
  • देर से बोई गई गेहूं की फसल में पोटैशियम नाइट्रेट 13:0:45, चिलेटेड जिंक, चिलेटेड मैंगनीज का छिड़काव करना भी अच्छा रहता है.
  • यदि मौसम में बदलाव के कारण गेहूं की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए किसानों को प्रोपीकोनाजोल एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10 से 12 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना चाहिए.