
अगर आप खेती से अधिक मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है, क्योंकि मॉनसून आते ही किसान खरीफ फसलों की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में आज हम बात करेंगे खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली सोयाबीन की फसल की. इसकी खेती में सबसे अधिक महत्वपूर्ण इसकी सही किस्मों का चयन करना होता है. खरीफ सीजन के ठीक पहले किसान इस समय असमंजस में हैं क्योंकि मार्केट में सोयाबीन की कई वैरायटी आ चुकी है. ऐसे में किसान यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि कौन सी वैरायटी अच्छी है. ऐसे में आज हम उन किसानों को सोयाबीन की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगे जो अपने बेहतर उत्पादन के लिए फेमस है. आइए जानते हैं उस उन्नत किस्म के कहां से ले सकते हैं बीज और क्या है उसकी खासियत.
मौजूदा समय में किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर तिलहन फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन सोयाबीन की केडीएस-726 किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
सोयाबीन की किस्म केडीएस-726 को फुले संगम के नाम से भी जाना जाता है. इस किस्म को साल 2016 में महाराष्ट्र के राहुरा में स्थित महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था. इस किस्म की खासियत ये है कि यह बुवाई के 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. वहीं, ये सोयाबीन में होना वाली आम रस्ट बीमारी के प्रतिरोधी है. बता दें कि सोयाबीन केडीएस-726 की फलियों में चटकने की समस्या नहीं होती जो कि इसके बाकी किस्मों से अलग बनाती है.
अगर आप सोयाबीन की खेती करना चाहते हैं तो केडीएस-726 किस्म के 30 किलो वाले बीज का पैकेट खरीदना चाहते हैं तो बता दें कि बाजार में सोयाबीन की इस किस्म के 30 किग्रा का पैकेट 3402 रुपये है जबकि बीज निगम यही पैकेट मात्र 2400 रुपये में उपलब्ध करा रहा है. यानी बाजार से 1000 हजार रुपये कम कीमत किसान घर बैठे इसे ऑनलाइन मंगवा सकते हैं. वहीं, इसे खरीद कर आप आसानी से सोयाबीन की खेती कर सकते हैं. साथ ही इसकी खेती से अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं.
सोयाबीन की बुवाई के लिए लाइनों के बीच की दूरी 45 सेमी रखें. बुवाई के लिए अनुशंसित बीज को 2-3 सेमी की गहराई पर बोएं और पौधों के बीच की दूरी 5-10 सेमी रखें. प्रति एकड़ बीज दर 25 से 30 किलो होना चाहिए. बीज उपचार के लिए ट्राइकोडर्मा, ब्रैडिराइजोनबियम जैपोनिकम और पीएसबी/ट्राई बायोफर्टिलाइजर का उपयोग करें. इससे बीजों की सड़न कम होती है और पौधों की वृद्धि में मदद मिलती है.
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