''रासायनिक खरपतवार के प्रयोग से जंगली सब्जियों की अनगिनत प्रजातियां लुप्त हो गई हैं. रासायनिक कीटनाशक धीरे-धीरे मिट्टी की क्षमता को खत्म कर देते हैं. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भारत में रसायन मुक्त भोजन का सपना तभी संभव हाेगा, जब किसान देशी बीजों का उपयोग करके पारंपरिक जैविक खेती को अपनाएं''. ये बातें पद्मश्री राहीबाई पोपेरे ने 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में किसान विज्ञान कांग्रेस के दौरान कही. 'बीज माता' के नाम से पहचानी जाने वाली राहीबाई नागपुर में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किसान विज्ञान कांग्रेस में बतौर विशिष्ट अतिथि बोल रही थी. इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों की बीज और उर्वरक के लिए बाजार पर निर्भरता किसानों की आत्महत्या और समग्र कृषि संकट का मूल कारण है.
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राहीबाई के पास भले ही किताबी ज्ञान नहीं है. लेकिन, उनके अपने कलेक्शन में 200 से अधिक स्वदेशी बीज है. उन्होंने इसके लिए अलग से एक बीज बैंक बनाया है. असल में राहीबाई ने 3500 से अधिक महिला किसानों को बीज संरक्षण और मिट्टी संरक्षण के बारे में प्रशिक्षित किया और उन्हें स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया. कांग्रेस में राहीबाई ने पौधों को बचाने और बीजों को संरक्षित करने के पारंपरिक और स्वयं विकसित तरीके बताए तो वैज्ञानिक भी दंग रह गए. किसानों से मिट्टी को जहरीले रसायनों से बचाने की अपील करते हुए राहीबाई ने भोजन के विकल्पों का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि जो भी भोजन अच्छा दिखता है वह जरूरी नहीं कि स्वस्थ हो.
कांग्रेस में कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी ने राहीबाई का कृषक विज्ञान कांग्रेस का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया. वहीं कांग्रेस के इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर आईसीएआर-सीआईएफआरटी के निदेशक डॉ. बसंत कुमार दास ने शिरकत की. अपने संबोधन में डॉ दास ने कृषि में तकनीकी सुधार की सख्त आवश्यकता पर प्रकाश डाला. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ नागपुर के एसोसिएट डीन डॉ. प्रकाश कडू ने अपने विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) और खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय बनाने के लिए प्रोत्साहित करना एक अच्छा विचार होगा.
महाराष्ट्र पशुपालन और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आशीष पातुरकर ने कांग्रेस में कहा कि पशुपालन ही किसानों की आय को दोगुना करने का एकमात्र तरीका है. वहीं कांग्रेस के संयोजक डॉ. प्रकाश ईटनकर ने कहा कि किसान विज्ञान कांग्रेस किसानों के लिए सर्वोत्तम संभव कृषि पद्धतियों को प्राप्त करने के लिए पारंपरिक के साथ-साथ आधुनिक कृषि विज्ञान पर चर्चा करेगी. डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान और केंद्रीय साइट्रस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने डॉ. राजकुमार खापेकर, बीओएस द्वारा आयोजित तकनीकी सत्र में अपने नवीनतम शोध प्रस्तुत किए.
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