
महाराष्ट्र में अकोला की MIDC क्षेत्र स्थित VJ Crop Sciences Pvt. Ltd. नामक कीटनाशक निर्माण कंपनी पर शुक्रवार 20 जुलाई को जिला भरारी पथक ने बड़ी कार्रवाई की. इस कार्रवाई में पुराने, एक्सपायरी हो चुके कीटनाशकों को नई बोतलों में भरकर फिर से बेचने की प्रक्रिया को रंगे हाथ पकड़ा गया. इसके बाद कीटनाशक कंपनी के लाखों रुपये के स्टॉक को सील कर दिया गया.
यह कार्रवाई जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी शंकर किरवे की उपस्थिति में जिला भरारी पथक प्रमुख डॉ. तुषार जाधव के नेतृत्व में की गई. भरारी पथक के सदस्य सतीश दांडगे (गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक), सुधाकर खंडारे, राहुल सिरसाठ, कैलास राठौड़ और गौरव राऊत भी टीम में शामिल थे.
गुप्त जानकारी के आधार पर छापेमारी की गई, जिसमें कंपनी के कर्मचारी और मजदूर पुरानी, एक्सपायरी कीटनाशक की बोतलें तोड़कर उनकी सामग्री नई बोतलों में भरते पाए गए. इसके बाद उन पर नया बैच नंबर और नया उत्पादन दिनांक वाला स्टिकर चिपकाया जा रहा था. यह पूरी प्रक्रिया कानून का घोर उल्लंघन मानी गई.
कार्रवाई के दौरान मौके पर मौजूद 21,95,280 रुपये मूल्य का एक्सपायरी कीटनाशकों का स्टॉक जब्त कर उसे बिक्री के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. साथ ही 8 कीटनाशक नमूने प्रयोगशाला जांच के लिए लिए गए हैं.
कीटनाशक अधिनियम 1968 और नियम 1971 के तहत यह स्पष्ट उल्लंघन होने के कारण, कृषि अधिकारी (गुणनियंत्रण) सुधाकर खंडारे की ओर से MIDC पुलिस स्टेशन में कंपनी के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.
यह मामला किसानों की फसल सुरक्षा से जुड़ा हुआ अत्यंत गंभीर मुद्दा है, जिसमें एक्सपायरी कीटनाशक के गलत इस्तेमाल से फसलों को नुकसान हो सकता था. जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से एक बड़ा धोखाधड़ी प्रकरण उजागर हुआ है.
इस मामले में कृषि अधिकारी सुधाकर खंडारे की शिकायत पर MIDC पुलिस स्टेशन में कंपनी पर फर्टिलाइजर और कीटनाशक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. MIDC थाने की प्रभारी अधिकारी मालती कायटे ने बताया कि आरोपी की तलाश शुरू कर दी गई है.
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि इस अवैध स्टॉक की सप्लाई अकोला के अलावा बुलढाणा, अमरावती, वाशिम, यवतमाल और अन्य जिलों में की जा रही थी. यह मामला किसानों के साथ धोखाधड़ी का गंभीर उदाहरण है, जिसमें समय रहते कार्रवाई कर बड़ा नुकसान टाल दिया गया है.
इस तरह के मामले अन्य राज्यों में भी सामने आ रहे हैं जिसमें किसानों के साथ धोखा होता है. किसान मेहनत के पैसे से कीटनाशक और फसलों की दवा खरीदते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि दवा नकली थी. इससे फसलों का नुकसान होता है. साथ ही किसानों की जमा पूंजी भी बर्बाद होती है.
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