खरीफनामा: खेत से बेहतर उत्पादन के लिए जरूरी है कि किसान सही बीजों का चयन करें. सीधे शब्दों में कहें तो बीज शुद्ध होने चाहिए और उनका अंकुरण प्रतिशत मानक स्तर का होना चाहिए.असल में किसान की मेहनत को बीज ही सफल बनाते हैं. मसलन, स्वस्थ बीजों के सहारे ही किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. वहीं बेहतर खाद का चयन पूरे फसल उत्पादन पर तड़का लगाता है. इसलिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज और बेहतर खाद का चयन करने की सलाह देते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए किसान तक की विशेष सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में पढ़ें बीज और खाद से जुड़ी पूरी रिपोर्ट...
किसान फसलों के बीज या तो पूर्व फसल उत्पादन के बाद सुरक्षित रखते हैं या बाजार से लेते हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसान बीज की थैली में एक ही किस्म के बीजाें को रखें. दूसरी फसल के बीज और घास चारा बीज उसमें नहीं मिलना चाहिए, यह भी देखें कि बीज कच्चे न हों, टूटे ना हों.
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इसी तरह उर्वरक में मिलावट नहीं होनी चाहिए और रसायन दवाएं नकली नहीं होना चाहिए. खरीफ की फसल के लिए आपको इन बातों को ध्यान में रखकर बीज और खाद खरीदना चाहिए. अच्छी क्वालिटी के बीज उर्वरक और रासायनिक दवाओं को खरीद कर अपने खेतों मे प्रयोग कर भरपूर लाभ ले सकते हैं, अगर आप बीज और खाद खरीदते वक्त इन बातों का ध्यान नहीं रखेंगे तो आप ठगी के शिकार हो जाएंगे. किसान यह सुनिश्चित कर लें कि कौन सा बीज खरीदना है और कितनी मात्रा में लेना है.
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फांउडेशन एपिडा मेरठ के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ प्रमोद तोमर ने कहा कि सभी कैटगरी के बीजों के लिए अलग-अलग टैग लगे रहते है. उसे देखकर आप बीजों की कैटगरी की पहचान कर सकते हैं, जैसे प्रजनक बीज के लिए सुनहरा पीला रंग का प्रयोग किया जाता है. आधार बीज के लिए सफेद टैग का प्रयोग किया जाता है. प्रमाणित बीज के लिए नीला रंग टैग का प्रयोग किया जाता है. वहीं पंजीकृत बीज के लिए बैंगनी टैंग का प्रयोग किया जाता है. फसल बीज बोरी के टैग पर कौन सी प्रजाति का बीज है. उस पर लिखा रहता है. हमेशा विश्वसनीय और रजिस्टर्ड दुकान से ही बीज खरीदना चाहिए और यह भी देख ले की कहीं से बैग कटा-फटा तो नही है और कहीं हाथ से सिलाई तो नही की गई है.
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बैग की सिलाई के अन्त में सील तो दुरूस्त है. बीज की प्रमाणीकरण संस्था द्वारा एक्सपायरी डेट कब तक दिया गया यह जरूर जांच कर ले. अगर एक्सपायरी डेट बीत गई या जल्दी बीतने वाली है, तो उसे खरीदना से बचना चाहिए. डॉ तोमर ने बताया अगर बीज उत्पादन के लिए फसल बुवाई करना है तो आधार बीज के लिए प्रजनक बीज की खरीदारी करें,अगर प्रमाणित बीज काउत्पादन करना है तो आपको आधार बीज की जरूरत पड़ेगी.
किसान तक से बातचीत में डॉ प्रमोद तोमर ने बीज जांच का घरेलू तरीका और अंकुरण परीक्षण की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बीजों को बोने के पहले एक बर्तन लें और उसमें पानी भर दें. इसके बाद बीजों को पानी में डाल दें और ध्यान से देखें कि बीज पानी में डूबते हैं या पानी पर तैरते हैं. 10-15 मिनट प्रतीक्षा करें जो बीज अंदर से खोखले होते हैं, वे हल्के होते हैं और पानी पर तैरते हैं. ऐसे बीजों के अंकुरण की संभावना बहुत कम होती है.अगर बीज अच्छी गुणवत्ता वाले हैं. तो वे भारी होते हैं. इन बीजों के अंकुरित होने की संभावना सबसे अधिक होती है. अगर घरेलू बीज बो रहे हैं तो अंकुरण परीक्षण कर लेना चाहिए. बीज अंकुरण प्रतिशत 80 से 90 तक जरूर होना चाहिए.
किसान तक से बातचीत में डॉ प्रमोद तोमर ने बीजों की अंकुरण क्षमता मानक स्तर की है या नहीं इसके लिये अंकुरण परीक्षण जरूरी है. अंकुरण परीक्षण के लिए कम से कम 400 बीजों का परीक्षण करना चाहिए. अंकुरण परीक्षण निम्न प्रकार से किया जा सकता है. 3-4 पेपर एक के ऊपर एक रखकर सतह बनाएं और उन्हें पानी से भिगोए.फिर सतह पर सौ-सौ बीज गिनकर लाइन में रखें तथा पेपर को मोड़कर रख दें. पेपर को समय-समय पर पानी डालकर नम बनाये रखें. तीन-चार दिन बाद अंकुरित बीजों को गिन लें. अगर बीज अंकुरण प्रतिशत 80 से 90 तक है तभी बोना चाहिए .
इस विधि में लकड़ी के बॉक्स में रेत बिछाकर उस पर दानों को लाइन में रखें और फिर भुरभुरी मिट्टी की 1.5 सेमी की तह लगा दें. रेत को नम बनाए रखने के लिए समय-समय पर पानी डालते रहें. लगभग 4-5 दिनों में अंकुर मिट्टी की सतह पर आ जाते हैं. बीज अंकुरण क्षमता कम से कम 80-90 प्रतिशत होनी चाहिए.परीक्षण के समय तापक्रम फसल के अनुसार होनी चाहिए. अंकुरण क्षमता परीक्षण में पहले सामान्य पौधे और फिर असामान्य पौधे फिर बीज तत्पश्चात् उन अंकुरित बीजों की गिनती की जाती है.
किसान तक से बातचीत में डॉ प्रमोद तोमर ने बताया कि रासायनिक उर्वरक को भी किसी विश्वसनीय संस्था या दुकान से खरीदें.क्योंकि उर्वरकों में मिलावट की संभावना ज्यादा रहती है. आज कल काफी शिकायत भी मिल रही हैं. इसलिए खुला हुआ उर्वरक नही खरीदना चाहिए. हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि बैग बन्द उर्वरक ही खरीदें. यह जरूर देख लें की कहीं से बैग कटा-फटा तो नहीं हैं और कहीं हाथ से सिलाई तो नही की गई है. इसके साथ यह भी देख लें कि उर्वरक के बैग में ढेले तो नहीं बन गए हैं. क्योंकि क्वालिटी खराब हो जाती है. अगर इस तरह की कोई शंका हो रही हो तो उसकी खरीदारी ना करें. कृषि रासायनिक दवाओं को भी किसी विश्वसनीय संस्था और दुकान से खरीदें.इन दवाओं की एक्सपाईरी डेट जरूर देख लें. अगर एक्सपायरी डेट खत्म हो गई हो तो उसे कदापि न खरीदें. इनके डिब्बे या पैकेट किसी प्रकार से क्षति ग्रस्त या खुले ना हो. अगर खुले और क्षतिग्रस्त हो तो उसे नहीं खरीदना चाहिए.
बीज उर्वरक और कृषि रासायनिक दवाएं खरीदते समय दुकानदार से पक्की रसीद लेना न भूलेंं, जिस पर खरीद की तारीख, खरीदी गई वस्तु का नाम और खरीदी गई वस्तु का मात्रा मूल्य और बैच नम्बर तथा उपयोग की अन्तिम तिथि जरूर होनी चाहिए. इसके साथ ही उर्वरक एवं बीजों के थैलों की जांच करें कि कहीं रिफिल किया हुआ थैला तो नही है या इसकी दोबारा सिलाई तो नहीं की गई है. अगर किसानों को विक्रेताओं द्वारा कैश मेमों नही दिया जाता, तो उसकी लिखित शिकायत निकटम कृषि कार्यालय को करें या उप संचालक कृषि के जिला कार्यालय से करें. किसानों को बीज उर्वरक खरीदते समय कुछ बातों काे ध्यान में रखना चाहिए, जिससे किसी तरह का धोखा खाने से बचा जा सकता है.अगर बताई गई बातों को ध्यान में रखकर बीज उर्वरक और कृषि रासायनिक दवाओं खरीदते हैं तो आप धोखा और नुकसान से बच सकते हैं.अच्छी क्वालिटी के बीज उर्वरक और रासायनिक दवाओं को खरीद कर अपने खेतों में प्रयोग कर भरपूर लाभ ले सकते हैं.
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