हरियाणा में 300 बोरी सब्सिडी वाला यूरिया पकड़ा गयाजहां एक ओर किसान घंटों लंबी लाइनों में खड़े होकर खाद का इंतज़ार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो उनके साथ हो रहे अन्याय की सच्चाई को उजागर कर रही है. खेतों में खाद की सख्त जरूरत के समय, किसान लाइन में जूझते दिख रहे हैं- और इसी बीच हरियाणा से एक चौंकाने वाली खबर आई है कि 300 बोरी सब्सिडी वाला यूरिया लेकर जा रहा एक ट्रक पकड़ा गया है. आपको बता दें हरियाणा के यमुनानगर जिले में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की टीम ने मेहलनवाली गांव के पास एक ट्रक को पकड़ा, जिसमें लगभग 300 बोरी सब्सिडी वाला कृषि-ग्रेड यूरिया भरा हुआ था. द ट्रिब्यून के मुताबिक यह पूरा माल कुरुक्षेत्र जिले में स्थित एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी का बताया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, इस यूरिया को गलत तरीके से कहीं और ले जाया जा रहा था.
जांच अधिकारियों ने बताया कि यह सब्सिडी वाला यूरिया शायद एक प्लाइवुड फैक्ट्री में भेजा जा रहा था. यहां ऐसे सस्ते कृषि-ग्रेड यूरिया का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल ग्लू (चिपकने वाला) बनाने में किया जाता है, जबकि यह पूरी तरह से अवैध है. कृषि-ग्रेड यूरिया सिर्फ किसानों और खेती के लिए होता है, इसे किसी भी औद्योगिक काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
यमुनानगर के कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि 21 नवंबर की शाम विभाग को विशेष सूचना मिली थी कि एक ट्रक सब्सिडी वाले यूरिया को गलत जगह पर ले जा रहा है. सूचना मिलते ही टीम सक्रिय हुई और मेहलनवाली गांव के पास ट्रक को रोक लिया. जांच में पता चला कि ट्रक में लाडवा (कुरुक्षेत्र) की एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी से लाया गया यूरिया था.
अधिकारियों के अनुसार, यह पूरा मामला यूरिया तस्करों की मिलीभगत का लग रहा है. सोसाइटी के इंचार्ज पर भी शक जताया गया है कि उसने अवैध ढंग से ट्रक को सब्सिडी वाले यूरिया के साथ बाहर भेजा. डॉ. डबास ने कहा कि जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कार्रवाई के दौरान ट्रक चालक मौके से भाग निकला. टीम, जिसका नेतृत्व उप मंडल कृषि अधिकारी (जगाधरी) अजय कुमार कर रहे थे, ने ट्रक को कब्जे में ले लिया. सब्सिडी वाले यूरिया के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए गए हैं ताकि यह पता चल सके कि कहीं इसे मिलावट कर इंडस्ट्रियल यूरिया की तरह तो इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था.
सूत्रों का कहना है कि कई प्लाइवुड फैक्ट्री मालिक सस्ते कृषि-ग्रेड यूरिया का इस्तेमाल चिपकने वाला बनाने में करते हैं ताकि टेक्निकल-ग्रेड यूरिया खरीदने का खर्च बच सके. यह पूरी तरह से गैर-कानूनी है और इससे सरकारी सब्सिडी वाले यूरिया की बड़ी चोरी होती है.
अजय कुमार की शिकायत पर पुलिस ने 22 नवंबर को जगाधरी सदर थाने में मामला दर्ज कर लिया है.
इन धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है-
पुलिस अब दोषियों की तलाश में जुटी है.
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