Moong Varieties : मूंग की बेहतर उपज देने वाली ये हैं उन्नत किस्में, उपज और फसल की अवधि जानें

Moong Varieties : मूंग की बेहतर उपज देने वाली ये हैं उन्नत किस्में, उपज और फसल की अवधि जानें

मूंग खरीफ सीजन में कम समय में पकने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. इसकी फसल आमतौर पर 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. ज्यादा पैदावार के लिए इसकी बुवाई के समय अच्छी किस्म और गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए. आइए जानते हैं खरीफ में बोई जाने वाली मूंग की पांच बेहतरीन किस्मों और उनकी औसत उपज और फसल अवधि के बारे में.

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Moong Varieties : मूंग की बेहतर उपज देने वाली ये हैं उन्नत किस्में, उपज और फसल की अवधि जानेंखरीफ सीजन में मूंग से बेहतर उपज के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करें

मूंग खरीफ सीजन में कम समय में पकने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. यह आमतौर पर 65-70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह फसल जून-जुलाई के बीच बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर के बीच पक जाती है. मूंग की खेती करके किसान कम समय में बेहतर मुनाफा  प्राप्त कर सकते हैं. किसानों को बुवाई के लिए अच्छी किस्म और गुणवत्ता वाले बीजों का चुनाव करना चाहिए. किसानों को मूंग की पांच बेहतर किस्मों, उनकी औसत उपज और फसल अवधि बारे में अवश्य जानना चाहिए.

पूसा विशाल

पूसा विशाल खरीफ मौसम में कम समय में अधिक उपज देने वाली मूंग की एक किस्म है. इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म पूरे भारत में उगाई जा सकती है. पीला मोजेक रोग का प्रभाव इसके पौधों पर नहीं देखा जाता है. इसके बीज चमकीले हरे रंग के दिखाई देते हैं. इस किस्म की फसल  लगभग 60 से 65 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. पूसा विशाल किस्म का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन लगभग 15 क्विंटल है.

मूंग एमएच-421 

मूंग एमएच -421 किस्म की मूंग खरीफ में बुवाई के लिए उपयुक्त है. यह किस्म पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में बुवाई के लिए अच्छी मानी जाती हैं. ये किस्म चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाण द्वारा विकसित की गई है. इसकी उपज क्षमता 10-12 कुंतल प्रति हेक्टेयर है और ये रोग प्रतिरोधक क्षमता, सहनशीलता और उत्पादन की दृष्टि से काफी अच्छी किस्म मानी जाती है. ये किस्म 65 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

मूंग की एमएच -1142

मूंग की किस्म एमएच-1142 को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म 63 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज क्षमता 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. खरीफ में इसकी बुवाई का उपयुक्त समय जून से जुलाई तक है. यह किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड में बुवाई के लिए अच्छी मानी जाती है. एन्थ्रेक्नोज और ख़स्ता फफूंदी के लिए प्रतिरोधी है.

के- 851

मूंग की के- 851 किस्म चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा विकसित की गई है. यह किस्म जायद और खरीफ दोनों मौसमों के लिए अच्छी मानी जाती है. इस किस्म के पौधे, बीज बोने के लगभग 65 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म की प्रति हेक्टेयर औसत उपज लगभग 10 से 12 क्विंटल है.

पंत मूंग 1

पंत मूंग 1 किस्म की जायद और खरीफ दोनों मौसमों में आसानी से खेती की जा सकती है. इस किस्म की प्रति हेक्टेयर औसत उपज 10 से 12 क्विंटल है. इस किस्म की फसल लगभग 60 से 70 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश और मैदानी क्षेतों के लिए बेहतर मानी जाती है.

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जवाहर मूंग - 721

मूंग की यह किस्म कृषि महाविद्यालय, इंदौर द्वारा मध्यम अवधि की उपज देने के लिए विकसित की गई है. यह किस्म खरीफ और जायद दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है. इस किस्म के पौधे बुवाई के लगभग 70 से 75 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म का प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 12 से 14 क्विंटल है. इसकी फलियों के एक गुच्छे में चार से पांच फलियां मिलती हैं. इसके पौधों पर येलो मोजेक एवं पाउडरी मिल्ड्यू रोग का प्रभाव नहीं देखा जाता है.

 मूंग की बुवाई के समय रखें खास ध्यान

खेत में मूंग के बीज बोने से पहले उनका बीजशोधन जरूर कर लें, इससे स्वस्थ और रोगमुक्त फसल लेने में खास मदद मिलती है. मूंग के बीजों को कतारों में बोयें, जिससे निराई-गुड़ाई करने में आसानी रहे और खरपतवार निकाले जा सकें. अगर संभव हो तो मूंग की बुवाई मेड़ो पर करें, इससे बेहतर पैदावार मिलती है और भारी बारिश होने पर फसल को नुकसान नही होता है.

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