फरवरी में तापमान में वृद्धि के आसार हैं. मौसम विभाग इस ओर इशारा कर चुका है. इससे गेहूं, सरसों जैसी फसलों के उत्पादन पर बुरा असर होने की आशंका है. इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत से आम पर मंजर आना शुरू हो जाएगा जिसे बौर भी कहते हैं. ऐसे में बढ़े हुए तापमान का प्रभाव आम और उसके बौर पर दिखना संभव है. इससे आम के फल का गिरना या साइज छोटा रह जाने का खतरा होगा. बचाव के लिए किसानों को बाग प्रबंधन की सलाह दी जाती है. यहां हम यह भी जानेंगे कि आम की अधिक पैदावार के लिए क्या करें, किन खादों का प्रयोग करें.
एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर आम के बाग में मधुमक्खी या सिरफिड मक्खी दिखे तो किसानों को सावधान रहने की सलाह दी जाती है. घरेलू मक्खियां भी आम के बाग में घूमती हैं, खासकर जब पेड़ों पर बौर आ जाती है. मंजरों का रस चूसने के लिए ये मक्खियां बागों में मंडराती हैं. ये मक्खियां मंजरों पर घूमती जरूर हैं, लेकिन किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचातीं. विशेषज्ञ ऐसे में किसी भी तरह के केमिकल स्प्रे के छिड़काव से बचने की सलाह देते हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक, पेड़ों पर केमिकल स्प्रे का छिड़काव करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे मक्खियां बागों से भाग जाएंगी जिससे मंजर पर परागण रुक जाएगा. परागण रुकने से या तो मंजरों में दाने नहीं आएंगे या दाने छोटे रह जाएंगे. इससे बौर झड़ भी सकती है. इसलिए एक्सपर्ट किसी भी तरह के छिड़काव से पहले एक बार जानकार व्यक्त से सलाह लेने पर जोर देते हैं. जिस वक्त मंजर में दाने आने लगें, उस वक्त सिंचाई नहीं करने की भी सलाह दी जाती है.
आम के दाने जब आने लगें तो उन्हें पेड़ों पर रोक कर रखने के लिए हर तरह के जतन करने चाहिए. जब आम के दाने मटर के बराबर हो जाएं तो इमिडाक्लोरप्रिड 17.8 एस एक मिली प्रति दो लीटर पानी में और हेक्साकोनाजोल एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से मधुआ में कमी आती है. मधुआ ऐसा रोग है जो आम के दानों को झड़ा देता है. इससे आम के दाने सही सही नहीं बढ़ पाते. दाने या तो छोटे रह जाते हैं या फिर झड़ जाते हैं.
अगर सभी तरह के उपाय करने के बाद भी आम के दाने झड़ने लगें तो किसान को दूसरी दवा का प्रयोग करना चाहिए. इसके लिए डाइनोकैप (46 ईसी) एक मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर आम पर छिड़क सकते हैं. किसान आम पर प्लानोफिक्स की एक मिली की मात्रा तीन लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें तो इससे फलों के गिरने में कमी आती है. ऐसी स्थिति में किसानों को आम में हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है ताकि नए फलों को बढ़ने में मदद मिले. इससे गर्मी से भी राहत मिलती है.
आम की अधिक पैदावार चाहिए तो किसान गोबर में कुछ खादों को मिलाकर उसकी जड़ों में डाल सकते हैं. पेड़ अगर 10 साल से पुराना है तो उसकी जड़ों में 500 से 550 ग्राम डाइअमोनियम फास्फेट, यूरिया 750 ग्राम खाद को अच्छी तरह से सड़ी हुई 25 किलो गोबर में मिलाकर प्रयोग करने से आम की बेहतर उपज मिलती है. इससे आम के दाने भी तेजी से बढ़ते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today