भारतीय बीज उद्योग संघ (FSII) ने शनिवार को जीएसटी परिषद की ओर से प्रमुख कृषि इनपुट्स पर जीएसटी दरें घटाने के फैसले का स्वागत किया. FSII ने कहा कि इस फैसले से उर्वरक की कच्ची सामग्री, बायो-पेस्टिसाइड्स, सूक्ष्म पोषक तत्व और कृषि यंत्रों की लागत कम होगी और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी. FSII के अध्यक्ष अजय राणा ने इसे भारतीय कृषि के लिए एक परिवर्तनकारी कदम बताया और कहा कि सरकार के इस कदम से किसान सशक्त होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत मिलेगी. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कृषि में बीज क्षेत्र के लिए भी इसी तरह की राहत अभी लंबित है.
FSII ने कहा कि वर्तमान में बीजों पर जीएसटी छूट इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लाभ को सीमित करती है. पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और रासायनिक उपचार जैसे आइटमों पर मानक जीएसटी दर लागू होने से बीजों पर अन्य कृषि इनपुट्स की तुलना में अधिक कर भार पड़ता है. संघ ने सरकार से अपील की कि या तो बीज उत्पादन में लगे सभी इनपुट्स को पूरी तरह टैक्स फ्री किया जाए या बीजों को न्यूनतम जीएसटी स्लैब में लाया जाए, जिससे उत्पादन लागत घटे, प्रतिस्पर्धा बढ़े और किसानों को किफायती बीज मिलें.
अजय राणा ने कहा कि यह सुधार विभिन्न क्षेत्रों में खपत को प्रोत्साहित करेगा और उन्हें पूरा विश्वास है कि सरकार की प्रगतिशील सोच बीज उद्योग के लिए भी इसी तरह के कदम उठाएगी. FSII ने यह भी कहा कि टैक्स स्ट्रक्चर का सुधार और नई तकनीकों के लिए नीति समर्थन भारत के कृषि क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा और खाद्य सुरक्षा के लिहाज से मजबूती प्रदान करेगा.
बता दें कि 3 सितंबर को जीएसटी परिषण की बैठक में जीएसटी स्ट्रक्चर में बदलाव करते हुए 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की स्लैब को खत्म कर दिया गया था. अब सिर्फ 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की स्लैब चलेगी. इसके अलावा हानिकारक और विलासिता की वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की स्लैब लागू होगी. नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी. इसमें कृषि क्षेत्र को काफी राहत दी गई है.
जीएसटी परिषद के फैसले से न केवल रोज़मर्रा की ज़रूरी चीजें सस्ती होंगी, बल्कि किसानों को भी सीधी राहत मिलेगी. ट्रैक्टर और उनके टायर-पार्ट्स, बायो-पेस्टीसाइड्स, माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स, ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर जैसी कृषि उपकरणों पर कर घटकर 5% हो गया है. वहीं मक्खन, घी, नमकीन और भुजिया जैसी खाद्य वस्तुएं भी अब सस्ती होंगी. इसके अलावा यूएचटी मिल्क, पनीर छेना और भारतीय ब्रेड पर अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी.
दूसरी ओर, विलासिता की वस्तुओं और हानिकारक उत्पादों के लिए 40% का अलग स्लैब तय किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि इस सुधार का मकसद आम नागरिक, किसान और श्रमिक वर्ग तक सीधा लाभ पहुंचाना है. (पीटीआई के इनपुट के साथ)
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