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खाद की कमी पर सरकार का जवाब, विदेशी हालात को बताया जिम्मेदार

खाद की कमी पर सरकार का जवाब, विदेशी हालात को बताया जिम्मेदार

बुधवार देर रात जारी खाद मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "सरकार स्थानीय उपलब्धता के मुद्दों को हल करने और डीएपी की जल्दी आपूर्ति करने के लिए राज्यों, रेलवे और खाद कंपनियों के साथ व्यवस्था बनाने में सभी जरूरी कार्रवाई कर रही है.

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खाद की कमी खाद की कमी

देश में खाद की कमी को देखते हुए केंद्र ने एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि वह डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरकों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने को लेकर कदम उठा रही है. इसमें 60 प्रतिशत आयात निर्भरता के बीच स्थानीय स्तर पर खाद की उपलब्धता के मुद्दों को हल किया जाएगा. सरकार ने डीएपी की कमी के लिए लाल सागर के मुद्दे और कुछ वैश्विक सप्लायरों द्वारा निर्यात में कटौती को भी जिम्मेदार ठहराया है.

बुधवार देर रात जारी उर्वरक मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "सरकार स्थानीय उपलब्धता के मुद्दों को हल करने और डीएपी की जल्दी आपूर्ति करने के लिए राज्यों, रेलवे और खाद कंपनियों के साथ व्यवस्था बनाने में सभी आवश्यक कार्रवाई कर रही है.

खाद की कमी में विदेशी हालात जिम्मेदार

बयान में कहा गया है कि चुनौतियों के बावजूद उर्वरक विभाग ने राज्यों को डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं. विभाग ने कहा कि इस साल, प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भारत को कम निर्यात और लाल सागर संकट (यानी रूस-यूक्रेन युद्ध) जैसी मौजूदा भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण डीएपी की आपूर्ति प्रभावित हुई. विभाग ने बताया कि लाल सागर संकट के कारण फॉस्फेटिक एसिड के जहाजों को केप ऑफ गुड होप के रास्ते मोड़ना पड़ा, जिसकी वजह से यात्रा का समय लंबा हो गया और आपूर्ति में देरी हुई.

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रणनीति की कमी से खाद का हुआ संकट 

लेकिन उद्योग जगत के कई लोगों का कहना है कि लाल सागर संकट जनवरी में ही शुरू हो गया था और इस साल अगर पहले से ही कोई “प्रभावी रणनीति” बना ली गई होती तो इस कमी से बचा जा सकता था. उन्होंने यह भी बताया कि पोटाश के मामले में भी इतना ही समय लग रहा है, जिसमें भारत 100 प्रतिशत आयात पर निर्भर है.

रबी के दो महीने में इतनी लगेगी खाद

‘बिजनेस लाइन’ के एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर के दौरान आयात में 59 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बावजूद इस महीने डीएपी की मांग पूरी नहीं हो सकी है. वहीं, बिक्री एक साल पहले की तुलना में कम रही. कृषि मंत्रालय के अनुसार, रबी बुवाई सीजन के पहले दो महीनों में डीएपी की आवश्यकता लगभग 35 लाख टन अनुमानित की गई थी, जिसमें अक्टूबर के लिए 18.69  लाख टन और नवंबर के लिए लगभग 16.14 लाख टन है.

डीएपी का क्लोजिंग स्टॉक 11.91 लाख टन

उर्वरक मंत्रालय ने 28 नवंबर को कहा कि अक्टूबर और नवंबर 2024 में राज्यों को आपूर्ति की गई आयातित और घरेलू डीएपी अब तक राज्यों में उपलब्ध बफर स्टॉक को छोड़कर लगभग 23 लाख टन हो गई है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 30 सितंबर तक डीएपी का क्लोजिंग स्टॉक 11.91 लाख टन था, जबकि एक साल पहले यह 21.74 लाख टन था.

इस रबी 2024-25 सीजन में, 17 लाख टन से अधिक डीएपी अलग-अलग बंदरगाहों पर पहुंचा और अक्टूबर और नवंबर में राज्यों को भेजा गया. सरकार ने कहा कि घरेलू उत्पादन से अतिरिक्त 6.50 लाख टन डीएपी उपलब्ध कराया गया. सरकार के जारी प्रयासों के बाद चालू रबी सीजन के दौरान अब तक कुल 34.81 लाख टन डीएपी और 55.14 लाख टन अन्य खाद की उपलब्धता हुई है.