राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में खरीफ 2025 सीजन को ध्यान में रखते हुए किसानों 662 क्विंटल बीज वितरित किए गए हैं. जो बीज किसानों को दिए गए हैं उनमें मूंगफली की जीजी-23 किस्म के बीज शामिल हैं और FPO के जरिये से इन बीजों का निःशुल्क वितरण किया गया है. तिलहन उत्पादन में वृद्धि और खाद्य तेलों में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के मकसद से भारत सरकार की तरफ से एक राष्ट्रीय तिलहन मिशन को लॉन्च किया गया था. यह बीज वितरण उसी मिशन का एक अहम हिस्सा था.
पूरी तरह से सब्सिडी पर इन मूंगफली बीजों का वितरण सुवाणा ऑर्गेनिक फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड और अनोखा संतरा प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से किए गए. नेशनल ऑयलसीड मिशन प्रोग्राम के तहत इन एफपीओज की भूमिका काफी सकारात्मक रही. इनके कार्यरत सक्रिय किसान समूह, प्रशिक्षित स्टाफ और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने योजना को प्रभावी तौर पर अंजाम तक पहुंचाने में कारगर भूमिका अदा की.
पंचायत समिति माण्डलगढ और सुवाणा में 600 किसानों का रजिस्ट्रेशन कराया गया था. इसके बाद प्रगतिशील किसानों को अधिकतम एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए ज्यादा उपज देने वाली मूंगफली की अधिसूचित किस्म जीजी-23 के 662 क्विंटल मूंगफली बीज (पड्स सहित) फ्री मुहैया कराए गए. इस किस्म का पौधा अर्धगुच्छेदार होता है और इसे पकने में 118 से 129 दिन लगते हैं.
साथ ही प्रति हेक्टेयर मूंगफली की यह किस्म 22 क्विटंल तक के उत्पादन की क्षमता रखती है. यह किस्म उपज क्षमता, तेल का ज्यादा प्रतिशत और फंगस समेत बाकी बीमारियों के लिए प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इस किस्म को तेलीबिया अनुसंधान केंद्र जूनागढ़, गुजरात की तरफ से विकसित किया गया है. इस किस्म के उत्पादन से क्षेत्रीय उत्पादन क्षमता में खासतौर पर वृद्धि की संभावनाएं बढ़ी हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं एफपीओं के जरिये से जिन किसानों को बीज दिए गए हैं, उन किसानों के खेतो से मिट्टी का सैंपल लेकर उसे लैब में जांच के लिए भेजा गया. मिट्टी की रिपोर्ट के अनुसार
मूंगफली किस्म का चयन किया गया. सभी किसानों को जल्द से जल्द सॉयल हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराए जाएंगे. उसके अनुसार फसल प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हासिल करने में मदद मिल सके. किसानों को कार्ड की सिफारिशों के अनुसार पोषक तत्त्व प्रबंधन की तकनीकी जानकारी भी कृषि विभाग और एफपीओ के जरिये यसे दी जाएगी.
बीज वितरण प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी डिजिटल और डेटा-आधारित थी. हर किसान का रजिस्ट्रेशन पहले से ही कृषि मैपर पोर्टल पर किया गया था. इसमें आधार कार्ड, भूमि रिकर्ड और मोबाइल नंबर दर्ज कर बीज वितरित किए गए. किसानों की फोटो जैसी जानकारियां भी इस पर अपलोड की गई थीं. वितरण के बाद बोये गए क्षेत्र का जीपीएस और खेत की फोटो भी अपलोड करने का काम किया जा रहा है.
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