देश में डाइअमोनियम फॉस्फेट यानी कि DAP की किल्लत के बीच कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर की मांग में इजाफा है. दरअसल, किसान अब कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर की ओर अधिक रुख कर रहे हैं क्योंकि यह सस्ता होने के साथ आसानी से उपलब्ध भी है. इसका फायदा व्यापारियों को भी मिल रहा है. व्यापारी इस मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से कच्चा माल आयात कर देश में ही सस्ते में कॉम्प्लेक्स खाद बना रहे हैं और किसानों को मुहैया करा रहे हैं. कॉम्प्लेक्स खाद में NPK आता है जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश मिला होता है.
एक ताजा आंकड़ा बताता है कि देश में कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर के उत्पादन में 11 फीसद की तेजी आई है जो अब लगभग 63 लाख टन तक पहुंच गया है. किसानों के बीच सॉइल हेल्थ कार्ड को लेकर जागरूकता बढ़ने के साथ ही एनपीके जैसी कॉम्प्लेक्स खादों की मांग बढ़ी है. सॉइल हेल्थ कार्ड में किसानों को पता चल जाता है कि मिट्टी में किस पोषक तत्व की मात्रा कम है. इसे देखते हुए किसान एनपीके खादों का प्रयोग बढ़ा रहे हैं.
ICAR की 2023 की एक स्टडी बताती है कि 90 परसेंट तक खेती की जमीन में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा 90 फीसद तक कम पाई गई जबकि पोटाश की कमी 50 फीसद तक दर्ज की गई. इसके बाद हाल में जारी उर्वरक मंत्रालय के एक डेटा से पता चलता है कि देश में सभी प्रमुख खादों जैसे कि डीएपी, कॉम्प्लेक्स खाद, सिंगल सुपर फॉस्फेट और अमोनियम फॉस्फेट के उत्पादन में 2 फीसद की बढ़ोतरी है. इससे पता चलता है कि इन खादों की मांग में तेजी आई है.
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दूसरी ओर, यूरिया के उत्पादन में एक फीसद से अधिक की गिरावट है जबकि एसएसपी का प्रोडक्शन सात फीसद से अधिक बढ़ा है. बिक्री की बात करें तो एक सरकारी आंकड़ा बताता है कि म्यूरेट ऑफ पोटाश यानी कि एमओपी की बिक्री में 24 परसेंट और कॉम्प्लेक्स खाद की बिक्री में 23 परसेंट तक उछाल है. खादों की सालाना बिक्री का हिसाब देखें तो कॉम्प्लेक्स खाद इसमें रिकॉर्ड बना सकती है.
खादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए व्यापारी अब देश में ही इसे बनाने पर जोर दे रहे हैं. इसके लिए वे विदेशों से कच्चा माल मंगाते हैं और यहां निर्माण करते हैं. इससे किसानों को आसानी से खाद मुहैया हो रही है. आयात का आंकड़ा बताता है कि यूरिया में 34 परसेंट तो डीएपी के आयात में 28 परसेंट की गिरावट है. एमओपी में डेढ़ परसेंट तो कॉम्प्लेक्स खाद के आयात में 8 परसेंट की गिरावट है.
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कॉम्प्लेक्स खाद बाकी खादों की तुलना में सस्ती भी हैं जिसकी वजह से किसान इसका इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं. सरकारी आंकड़ा बताता है कि इस साल अक्टूबर में डीएपी का खुदरा दाम 1350 रुपये प्रति बैग था जबकि एमओपी का 1550 रुपये और कॉम्प्लेक्स खाद का दाम 1230 से 1700 रुपये तक था. यूरिया का दाम 267 रुपये प्रति बोरी है. इस दाम में पिछले एक दशक से कोई बदलाव नहीं है.
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