हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि जहां तक केवल "मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल" (MFMB) पर पंजीकृत किसानों को ही डी.ए.पी. उपलब्ध कराने का प्रश्न है, यहां अवगत कराया जाता है कि हरियाणा सहकारी शीर्ष बैंक लिमिटेड ने राज्य में "मेरी फसल मेरा ब्योरा" (MFMB) पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को डी.ए.पी. उपलब्ध कराने के लिए पत्र संख्या क्रेडिट/2024-25/5541 दिनांक 02 नवंबर 2024 जारी किया गया था. यह दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किए गए थे कि डी.ए.पी. खाद केवल वास्तविक किसानों तक ही पहुंचे और खाद के दुरुपयोग से बचा जा सके.
प्लाईवुड उद्योगों में इस्तेमाल होने वाला यूरिया, टेक्निकल ग्रेड यूरिया (टीजीयू) है. कृषि के लिए इस्तेमाल होने वाला यूरिया नीम कोटेड होता है, जिसमें नीम तेल की मात्रा 0.035 प्रतिशत होती है. दोनों प्रकार के यूरिया में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है. प्लाईवुड उद्योगों में कृषि-ग्रेड यूरिया की चोरी को नियंत्रित करने के लिए विभाग बेईमान तत्वों पर नियमित छापेमारी करता है. एक अप्रैल, 2024 से प्लाईवुड उद्योगों से यूरिया के नौ नमूने लिए गए. चार लाइसेंस निलंबित किए गए हैं और तीन एफआईआर दर्ज की गई है. साथ ही, 150 मीट्रिक टन कृषि ग्रेड यूरिया (एजीयू) जब्त किया गया है.
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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि इन सभी तथ्यों को देखते हुए, राज्य में डीएपी और यूरिया खाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. राज्य और भारत सरकार खाद आपूर्ति की निरंतर निगरानी करती हैं. सरकार राज्य में कृषक समुदाय द्वारा आवश्यक सभी खादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. खादों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण किए जा रहे हैं कि खाद वास्तविक किसानों तक पहुंचे. बेईमान तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. एक अप्रैल, 2024 से 185 छापे मारे गए हैं और 105 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. इनके अलावा, 2 लाइसेंस निलंबित किए गए हैं और 8 लाइसेंस रद्द किए गए हैं. इसी प्रकार, 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 16 मामलों में बिक्री रोक दी गई है.
भारत सरकार ने चालू रबी सीजन 2024-25 के लिए 2 लाख 60 हजार मीट्रिक टन डीएपी आवंटित किया है. डीएपी का अक्टूबर और नवंबर 2024 का आवंटन 2 लाख 25 हजार मीट्रिक टन है. इस साल रबी सीजन की शुरुआत में राज्य के पास 54,000 मीट्रिक टन का स्टॉक था और 16 नवंबर 2024 तक एक लाख 52 हजार मीट्रिक टन डीएपी भारत सरकार से प्राप्त हुई है. इस प्रकार, राज्य के लिए अब तक 2 लाख 6 हजार मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध कराया गया है जिसमें से 15 नवंबर 2024 तक एक लाख 86 हजार मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है. पिछले साल इसी अवधि के दौरान एक लाख 65 हजार मीट्रिक टन डीएपी की खपत हुई थी. इससे यह स्पष्ट है कि इस साल इसी अवधि के दौरान पिछले साल की तुलना में खपत अधिक रही है. जिलों में अभी भी 21,000 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है.
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उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसान केवल डीएपी पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि रबी की फसल उगाने के लिए अपनी पसंद के अनुसार एनपीके (NPK) और सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) खादों का भी उपयोग करते हैं. फसल के संपूर्ण पोषक तत्व सुनिश्चित करने के लिए ये खाद भी राज्य के किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने बताया कि रबी सीजन की शुरुआत में 43,000 मीट्रिक टन एनपीके का स्टॉक उपलब्ध था. एक अक्टूबर से 15 नवंबर 2024 तक 28,000 मीट्रिक टन एनपीके की मात्रा प्राप्त हुई है. इस प्रकार, एनपीके खादों की कुल उपलब्धता 71,000 मीट्रिक टन है, जिसमें से 49,000 मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है और 22,000 मीट्रिक टन एनपीके अभी भी राज्य में उपलब्ध है.
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