DAP Crisis: डीएपी की क‍ितनी हुई खपत, सरकार ने व‍िधानसभा में द‍िया पूरा ब्योरा

DAP Crisis: डीएपी की क‍ितनी हुई खपत, सरकार ने व‍िधानसभा में द‍िया पूरा ब्योरा

प्रदेश के किसान केवल डीएपी पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि रबी की फसल उगाने के लिए अपनी पसंद के अनुसार एनपीके (NPK) और सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) खादों का भी उपयोग करते हैं. फसल के संपूर्ण पोषक तत्व सुनिश्चित करने के लिए ये खाद भी राज्य के किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं.

Advertisement
DAP Crisis: डीएपी की क‍ितनी हुई खपत, सरकार ने व‍िधानसभा में द‍िया पूरा ब्योराहरियाणा के कृषि मंत्री ने खादों की उपलब्धता की जानकारी दी

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने डीएपी से संबंधित सवाल का ज़वाब देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार राज्य में सभी प्रकार के खाद की व्यवस्था करने और किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार उनके उचित वितरण के लिए प्रशासनिक रूप से सक्षम है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार खादों की मौसमवार और माहवार आवश्यकताओं का आकलन करती है और  योजना तैयार कर संबंधित राज्य को भेजी जाती है. हरियाणा का कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी प्रतिदिन यूरिया, डीएपी और अन्य खादों की आवश्यकताओं, आपूर्ति, बिक्री और स्टॉक स्थिति की निगरानी करता है. भारत सरकार भी प्रत्येक मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से खाद आपूर्तिकर्ताओं सहित राज्य के साथ आपूर्ति योजना की समीक्षा करती है. 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि तिलहन फसलों की बुवाई लगभग समाप्त हो चुकी है और गेहूं की बुवाई जोरों पर है. बुवाई के दौरान फास्फेटिक खादों का उपयोग/ड्रिल किया जाता है और यूरिया का उपयोग आमतौर पर फसलों में छिड़काव के रूप में किया जाता है. पिछले साल रबी सीजन में डीएपी की बिक्री 2 लाख 30 हजार मीट्रिक टन थी और चालू रबी सीजन 2024-25 में भी इतनी ही बिक्री होने की उम्मीद है.

हरियाणा में खाद वितरण का ब्योरा  

भारत सरकार ने चालू रबी सीजन 2024-25 के लिए 2 लाख 60 हजार मीट्रिक टन डीएपी आवंटित किया है. डीएपी का अक्टूबर और नवंबर 2024 का आवंटन 2 लाख 25 हजार मीट्रिक टन है. इस साल रबी सीजन की शुरुआत में राज्य के पास 54,000 मीट्रिक टन का स्टॉक था और 16 नवंबर 2024 तक एक लाख 52 हजार मीट्रिक टन डीएपी भारत सरकार से प्राप्त हुई है. इस प्रकार, राज्य के लिए अब तक 2 लाख 6 हजार मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध कराया गया है जिसमें से 15 नवंबर 2024 तक एक लाख 86 हजार मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है. पिछले साल इसी अवधि के दौरान एक  लाख 65 हजार मीट्रिक टन डीएपी की खपत हुई थी. इससे यह स्पष्ट है कि इस साल इसी अवधि के दौरान पिछले साल की तुलना में खपत अधिक रही है. जिलों में अभी भी 21,000 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है. 

ये भी पढ़ें: PHOTOS: एक हेक्टेयर में प्याज के कितने लगेंगे पौधे, कितनी होगी खाद की जरूरत?

उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसान केवल डीएपी पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि रबी की फसल उगाने के लिए अपनी पसंद के अनुसार एनपीके (NPK) और सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) खादों का भी उपयोग करते हैं. फसल के संपूर्ण पोषक तत्व सुनिश्चित करने के लिए ये खाद भी राज्य के किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने बताया कि रबी सीजन की शुरुआत में 43,000 मीट्रिक टन एनपीके का स्टॉक उपलब्ध था. एक अक्टूबर से 15 नवंबर 2024 तक 28,000 मीट्रिक टन एनपीके की मात्रा प्राप्त हुई है. इस प्रकार, एनपीके खादों की कुल उपलब्धता 71,000 मीट्रिक टन है, जिसमें से 49,000 मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है और 22,000 मीट्रिक टन एनपीके अभी भी राज्य में उपलब्ध है. 

हरियाणा में कितनी खाद उपलब्ध

इसी प्रकार, रबी सीजन की शुरुआत में 80,000 मीट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का स्टॉक उपलब्ध था. एक अक्टूबर से 15 नवंबर 2024 तक 14,000 मीट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) की मात्रा प्राप्त हुई है. इस प्रकार, सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) खादों की कुल उपलब्धता 94,000 मीट्रिक टन है, जिसमें से 25,000 मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है और राज्य में अभी भी 69,000 मीट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) उपलब्ध है. 

राणा ने बताया कि पिछले साल रबी सीजन के दौरान यूरिया की बिक्री 11 लाख मीट्रिक टन थी. भारत सरकार ने चालू रबी सीजन 2024-25 के लिए 11,20,000 मीट्रिक टन यूरिया आवंटित किया है. रबी सीजन की शुरुआत में राज्य में 3,98,000 मीट्रिक टन का स्टॉक था. अब बीते  15 नवंबर 2024 तक 2,84,000 मीट्रिक टन यूरिया प्राप्त हो चुका है. इस प्रकार, राज्य में 6,82,000 लाख मीट्रिक टन यूरिया खाद उपलब्ध कराया गया है, जिसमें से 15 नवंबर, 2024 तक 2,78,000 मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है और 4,05,000 मीट्रिक टन अभी भी उपलब्ध है. 

ये भी पढ़ें: सरसों के पत्ते पर दिखें गोल भूरे धब्बे तो हो जाएं सावधान, इस रोग का है संकेत, जल्द डालें ये दवा

श्याम सिंह राणा ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि नूंह जिला में पिछले रबी सीजन के दौरान एक अक्टूबर से 15 नवंबर, 2023 तक डीएपी की खपत 2680 मीट्रिक टन थी. वर्तमान रबी सीजन के दौरान एक अक्टूबर 2024 से 15 नवंबर 2024 तक डीएपी की उपलब्धता 435 मीट्रिक टन है. इस जिले में एक अक्टूबर 2024 से अब तक डीएपी की खपत 3909 मीट्रिक टन है और 16 नवंबर 2024 को नूंह जिले में वर्तमान स्टॉक 442 मीट्रिक टन है. 

किसान की खुदकुशी पर सवाल 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि रामभगत, गांव भीखेवाला, तहसील नरवाना, जिला जींद की आत्महत्या का प्रश्न है. उन्होंने 6 नवंबर 2024 को कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली थी. राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार मृतक राम भगत के नाम पर कोई जमीन नहीं है. लेकिन उनके पिता किदार सिंह के नाम पर 3 कनाल कृषि और 125 गज गैर मुमकिन जमीन है. राम भगत पुत्र किदार सिंह "मेरी फसल मेरा ब्योरा" (MFMB) पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है.  उन्होंने यह भी बताया कि गांव भीखेवाला दनौदा पैक्स के अंतर्गत आता है. एक अक्टूबर 2024 से 12 नवंबर 2024 तक दनौदा पैक्स में कुल 3293 डीएपी बैग की आपूर्ति की गई है. दिनांक 01 नवंबर 2024 से 06 नवंबर 2024 तक कम से कम 1200 बैग DAP उपलब्ध थे. कभी-कभी 1500 बैग से भी अधिक उपलब्ध था. उन्होंने बताया कि 6 नवंबर 2024 को जब श्री राम भगत ने आत्महत्या की, उस दिन 1224 बैग DAP उपलब्ध था और उस दिन 600 बैग से अधिक की बिक्री हुई थी. उन्होंने बताया कि 7 नवंबर 2024 को उकलाना थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार उनके मामा, सतबीर सिंह, गांव कापड़ो, जिला हिसार ने बताया है कि रामभगत मानसिक रूप से परेशान था. ऐसे में रामभगत की आत्महत्या का कारण डीएपी की अनुपलब्धता नहीं है.


 

POST A COMMENT