राजस्थान समेत महाराष्ट्र में नकली खाद पकड़े जाने के कई मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे समय में जब देश में खरीफ बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है, तो इन मामलों ने केंद्र और राज्य सरकारों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. राजस्थान में तो कृषि मंत्री किशोरी लाल मीणा इस पूरे मामले में एक्शन ले रहे हैं. इन घटनाओं के बीच ही केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने एक अहम मीटिंग की है. यूं तो यह मीटिंग चालू खरीफ सीजन के दौरान उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण की समीक्षा से जुड़ी थी लेकिन इसमें नकली खाद पर भी चर्चा हुई.
गुरुवार को हुई इस हाई लेवल मीटिंग में मंत्री जेपी ने जगत प्रकाश नड्डा ने उर्वरकों के अवैध डायवर्जन, जमाखोरी और कालाबाजारी के मुद्दे को हल करने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वित कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया. इसके अलावा उन्होंने इन कुप्रथाओं को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की. साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि उर्वरक सिर्फ उन किसानों को ही मिले जिन्हें इसकी जरूरत है. केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों की जरूरत को पूरा करने के लिए सभी राज्यों में उर्वरक तुरंत उपलब्ध कराए जाएं. इस सिलसिले में उन्होंने सभी हितधारकों जैसे राज्य सरकारों, उर्वरक कंपनियों, रेलवे और पोर्ट अथॉरिटीज के अधिकारियों का अहम निर्देश दिए.
नड्डा ने उर्वरक विभाग के अधिकारियों के साथ हुई इस मीटिंग में देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका पर रोशनी डाली. उन्होंने फसल उत्पादकता को समर्थन देने के लिए जरूरी पोषक तत्वों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने की जरूरत तमाम अधिकारियों को बताई. नड्डा को उर्वरक आपूर्ति की वर्तमान स्थिति और खरीफ 2025 की तैयारियों के बारे में जानकारी भी दी. देश में उर्वरकों का उत्पादन सर्वोच्च स्तर पर बना हुआ है. डीएपी उत्पादन 3.84 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है जो हाल के महीनों में सबसे ज्यादा है. मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच के अंतर को खत्म करने के लिए भारतीय उर्वरक कंपनियों ने सऊदी अरब, मोरक्को और रूस जैसे प्रमुख उर्वरक निर्यातकों के साथ समझौता किया है. इससे पूरे साल लगातार आयात सुनिश्चित हो रहा है.
नड्डा ने रासायनिक उर्वरकों, खासतौर पर यूरिया पर बढ़ती निर्भरता पर भी चिंता जताई है. इसकी जगह पर उन्होंने टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने अधिकारियों को पीएम-प्रणाम (मातृ-भूमि के जीर्णोद्धार, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम) को लागू करने की कोशिशों को तेज करने का भी आदेश अधिकारियों को दिया है. इस पहल का मकसद उर्वरकों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करना, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाना और जैविक और प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देना है. नड्डा ने कहा है कि रासायनिक उर्वरक के उपयोग में कमी दिखाने वाले राज्य इस कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहन के योग्य होंगे.
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