इस बदलते मौसम में क्या करें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के किसान, IMD ने दी ये सलाह

इस बदलते मौसम में क्या करें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के किसान, IMD ने दी ये सलाह

पंजाब के मध्य मैदानी क्षेत्र में गन्ने की कटाई जारी रखें. मक्का की बुवाई जारी रखें. मौसम की स्थिति और मिट्टी के प्रकार के आधार पर 15-20 दिनों के अंतराल पर बरसीम और ल्यूसर्न की सिंचाई करें. गेहूं के खेतों में पीले रतुआ की मौजूदगी पर नजर रखें. जैसे ही बीमारी दिखाई दे, 300 ग्राम 'ताक़त' या 200 ग्राम कैविएट या 120 ग्राम नैटिवो या इम्पैक्ट एक्स्ट्रा या ओपेरा या कस्टोडिया या टिल्ट या शाइन को 200 मिली लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें. 15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे दोहराएं.

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इस बदलते मौसम में क्या करें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के किसान, IMD ने दी ये सलाहफसल एडवाइजरी

दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें मौसम को देखते हुए किसानों को सतर्क रहते हुए फसलों की देखभाल और निगरानी की सलाह दी गई है. मौसम विभाग ने कहा है, किसान पंजाब के पश्चिमी क्षेत्र में मिर्च, शिमला मिर्च और बैंगन की नर्सरी रोपें. गेहूं में पीला रतुआ के लिए नियमित निगरानी करें, अगर दिखे तो टिल्ट या शाइन या बंपर या स्टिल्ट या मार्कज़ोल 200 मिली लीटर 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें. 15 दिन के अंतराल पर दोबारा स्प्रे करें.

मौसम विभाग ने कहा है, किसान पंजाब के पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में सूरजमुखी संकर पीएसएच 569 की बुवाई और गन्ना रोपाई का काम करें. गन्ने की केवल बताई गई किस्में ही बोएं जैसे कि CoPB-92, Co118, CoJ-85, CoJ-64 (जल्द पकने वाली), CoPB-91, CoPB93, CoPB-94, Co-238, CoJ-88. आलू में पछेती झुलसा रोग के लिए नियमित रूप से खेत की निगरानी करें और यदि लक्षण दिखाई दें तो इंडोफिल एम 45/मार्कजेब/कवच @ 500-700 ग्राम को 250-350 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. 

पंजाब में गन्ने की कटाई जारी रखें

पंजाब के लहरदार मैदानी क्षेत्र में गन्ने की कटाई जारी रखें. गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाने के लिए नियमित रूप से निगरानी करते रहें. यदि लक्षण दिखाई दें, तो कस्टोडिया/कैविएट/ओपेरा/टिल्ट/स्टिल्ट/बंपर/शाइन/मार्कज़ोल @0.1% या नैटिवो @0.06% का छिड़काव करें.

पंजाब के मध्य मैदानी क्षेत्र में गन्ने की कटाई जारी रखें. मक्का की बुवाई जारी रखें. मौसम की स्थिति और मिट्टी के प्रकार के आधार पर 15-20 दिनों के अंतराल पर बरसीम और ल्यूसर्न की सिंचाई करें. गेहूं के खेतों में पीले रतुआ की मौजूदगी पर नजर रखें. जैसे ही बीमारी दिखाई दे, 300 ग्राम 'ताक़त' या 200 ग्राम कैविएट या 120 ग्राम नैटिवो या इम्पैक्ट एक्स्ट्रा या ओपेरा या कस्टोडिया या टिल्ट या शाइन को 200 मिली लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें. 15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे दोहराएं.

पंजाब के उप पर्वतीय लहरदार मैदानी क्षेत्र में मार्च के अंत तक गन्ने की बुआई करें. गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के लिए नियमित रूप से निगरानी करें. यदि रतुआ दिखाई दे तो फसल पर कैविएट 25 डब्ल्यूजी (टेबुकोनाजोल) 200 ग्राम या कस्टोडिया 320 एससी (एजोक्सीस्ट्रोबिन + टेबुकोनाजोल) 200 मिली लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.

क्या करें हरियाणा के किसान

हरियाणा के पश्चिमी क्षेत्र में, बदलते मौसम और बारिश की संभावना के कारण सरसों की फसल में अगले तीन से चार दिनों तक कीटनाशक/कीटनाशक का छिड़काव और सिंचाई रोक दें. अनुमानित मौसम के मद्देनजर सरसों पर रसचूसक कीट की निगरानी करें. यदि सरसों की फसल कटाई के करीब है (जल्दी बोई गई), तो बारिश या मौसम सुधरने के बाद कटाई की तैयारी करें. 

मौजूदा मौसम की स्थिति में रतुआ रोग के खिलाफ गेहूं की फसल की लगातार निगरानी की सलाह दी जाती है. यदि काला, भूरा या पीला रतुआ के लक्षण दिखाई देते हैं, तो गीले मौसम की स्थिति के बाद डाइथेन एम-45 @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. एफिड के हमले के खिलाफ सरसों की फसल की निगरानी करें, गीले मौसम की स्थिति के बाद इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25 से 0.5 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.

टमाटर, मिर्च लगाएं दिल्ली के किसान

दिल्ली में वर्तमान मौसम की स्थिति में टमाटर, मिर्च और कोल की फसल (गोभी, ब्रोकली, शलजम, सरसों, मूली) की नई पौध की रोपाई इस सप्ताह की जा सकती है. टमाटर में फल छेदक कीट की आबादी की निगरानी के लिए प्रति एकड़ 3-4 ट्रैप फेरोमोन ट्रैप लगाएं. वर्तमान मौसम की स्थिति में रतुआ रोग के खिलाफ गेहूं की फसल की लगातार निगरानी की सलाह दी जाती है. 

यदि काला, भूरा या पीला रतुआ के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डाइथेन एम-45 @ 2.5 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें. फ्रेंच बीन, क्लस्टर बीन, ग्रीष्मकालीन मूली की बुवाई करें क्योंकि मौजूदा तापमान बीजों के अंकुरण के लिए उपयुक्त है. थ्रिप्स और बैंगनी धब्बे के संक्रमण के खिलाफ समय पर बोई गई प्याज की फसल की लगातार निगरानी करें.

 

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