Biostimulants: बायोस्टिमुलेंट्स पर नया कानून लागू, नकली उत्पादों पर लगेगी रोक, सरकार की बड़ी कार्रवाई

Biostimulants: बायोस्टिमुलेंट्स पर नया कानून लागू, नकली उत्पादों पर लगेगी रोक, सरकार की बड़ी कार्रवाई

भारत सरकार ने बायोस्टिमुलेंट्स पर कड़ा फैसला लेते हुए सिर्फ 146 उत्पादों को मंजूरी दी है और 9,352 अस्थायी पंजीकरण रद्द कर दिए हैं. जानिए नए नियम, तारीखें और किसानों पर इसका असर.

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Biostimulants: बायोस्टिमुलेंट्स पर नया कानून लागू, नकली उत्पादों पर लगेगी रोक, सरकार की बड़ी कार्रवाईबायोस्टिमुलेंट्स पर सरकार की सख्ती

भारत सरकार ने बायोस्टिमुलेंट्स को अब फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO), 1985 के तहत ला दिया है. इससे पहले ये उत्पाद बिना तय नियमों के बाजार में बिक रहे थे. अब सरकार ने इन पर नियंत्रण लगाने का बड़ा कदम उठाया है. अब सिर्फ 146 बायोस्टिमुलेंट्स उत्पादों को पूरी तरह मंजूरी दी गई है, जबकि 9,352 उत्पादों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है.

पहले क्या था हाल?

पहले भारत में करीब 30,000 बायोस्टिमुलेंट्स उत्पाद बिना किसी नियम या गुणवत्ता जांच के बेचे जा रहे थे. किसान इन उत्पादों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन उनकी गुणवत्ता और असर को लेकर कोई पक्की जानकारी नहीं होती थी.

नियमों की शुरुआत कब और कैसे हुई?

सरकार ने इस स्थिति को सुधारने के लिए 23 फरवरी 2021 को एक नोटिफिकेशन (S.O. 882(E)) जारी किया. इसके तहत FCO में एक नया क्लॉज 20C जोड़ा गया. यह क्लॉज बायोस्टिमुलेंट्स की गुणवत्ता और सुरक्षा तय करता है.

बायोस्टिमुलेंट्स क्या होते हैं?

बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं जो पौधों की उपज, गुणवत्ता, पोषण अवशोषण और तनाव सहन करने की क्षमता को बढ़ाते हैं.

इन्हें 9 श्रेणियों में बांटा गया है:

  • वनस्पति अर्क (Vegetable Extracts)
  • जैव-रासायनिक उत्पाद (Biocidal products)
  • प्रोटीन हाइड्रोलाइज (Protein Hydrolysates)
  • विटामिन (Vitamins)
  • सूक्ष्मजीव उत्पाद (Microorganism products)
  • एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants)
  • एंटी-ट्रांस पेरेंट्स (Anti-Trans Parents)
  • ह्यूमिक और फुल्विक एसिड (Humic and Fulvic Acid)
  • जीवित सूक्ष्मजीव (लेकिन बायो फर्टिलाइजर और बायोपेस्टिसाइड नहीं) (Living microorganisms (but not biofertilizers and biopesticides)

अस्थायी पंजीकरण की व्यवस्था क्यों की गई?

जब 2021 में नियम बनाए गए, तो सरकार ने उद्योगों को तैयारी का समय देने के लिए अस्थायी पंजीकरण (G3 सर्टिफिकेट) की सुविधा दी. इसका उद्देश्य था कि कंपनियां अपने उत्पादों का वैज्ञानिक डेटा जमा करें, जैसे – असर, रसायन संरचना और सुरक्षा रिपोर्ट.

विस्तार की समयरेखा:

  • 23 फरवरी 2021: नियम लागू हुए
  • 23 फरवरी 2023: पहली वैधता समाप्त
  • 22 फरवरी 2024: पहली बार विस्तार
  • 22 फरवरी 2025: दूसरी बार विस्तार
  • 16 जून 2025: अंतिम विस्तार

अब सरकार ने साफ कह दिया है कि 16 जून 2025 के बाद कोई और विस्तार नहीं होगा.

9,352 उत्पादों का पंजीकरण रद्द

अब तक जिन उत्पादों को सिर्फ अस्थायी मंजूरी मिली थी, उनका पंजीकरण 17 जून 2025 से रद्द माना जाएगा. इन उत्पादों को अब बाजार में बेचना गैरकानूनी होगा.

सिर्फ 146 उत्पाद हुए पूरी तरह मंजूर

सितंबर 2025 तक सिर्फ 146 बायोस्टिमुलेंट्स उत्पादों को ही सरकार से पूरी मंजूरी मिली है. ये उत्पाद अब FCO, 1985 की अनुसूची VI में शामिल हैं और इनकी गुणवत्ता जांची जा चुकी है.

  • किसानों और कंपनियों के लिए क्या मतलब?
  • किसानों को अब बेहतर और प्रमाणिक उत्पाद मिलेंगे.
  • कंपनियों को गुणवत्ता सुधारनी होगी और नियमानुसार ही उत्पाद बेचने होंगे.
  • बाजार में नकली या कमजोर उत्पादों की बिक्री पर रोक लगेगी.

भारत सरकार का यह कदम किसानों के हित में है. इससे न केवल उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि खेती भी ज्यादा सुरक्षित और लाभकारी बनेगी. अब हर बायोस्टिमुलेंट्स उत्पाद को प्रमाणित होना जरूरी है. इससे कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वसनीयता आएगी.

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